प्रधान अमित राज यादव की नई सोच से निकली 'कूड़े के बदले सामान' की योजना की चहुंओर भूरि भूरि प्रशंसा हो रही है, अन्य बहुत प्रधान इसे अपनी पंचायतों में शुरू करना चाहते हैं।
लखनऊ: जिले के चिनहट ब्लाक की अनौरा कलां पंचायत के लोग विशेषकर महिलाएं आजकल बड़े प्रसन्न हैं। कारण है ग्राम प्रधान अमित राज यादव की शुरू की हुई अनूठी योजना, जिसमें लोग अपने घरों का कूड़ा देकर घर में इस्तेमाल की वस्तुएं पा रहे हैं।
अनौरा कलां के प्रधान व प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष अमित राज यादव युवा, शिक्षित और कुछ बेहतर करने को आतुर व्यक्ति हैं।
उनकी इस सोच ने ही अनौरा कलां में इस अनूठी पहल को जन्म दिया कि लोग अपने घरों कूड़ा देकर उससे घरेलू वस्तुओं के रूप में कुछ लाभ पा सकते हैं। योजना के शुरू होते ही पहले तो सबको बड़ा अटपटा सा लगा लेकिन फिर यह सबको पसंद आने लगी, अब यहां लगभग सभी लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं।
अब तक जो कूड़ा यहां वहां फेंका जाता था। घर का कूड़ा कबाड़ जगह घेरने के साथ कई बीमारी फैलाता था। इसका एक सटीक तरीका चिनहट विकासखंड स्थित कनौरा कला गांव के ग्राम प्रधान अमित यादव ने निकाल लिया है। घर से निकलने वाले कूड़े को रिसाइकल योजना बनाई है। जितना कूड़ा घरों से निकलता है उसे तोल कर उसके बदले साबुन,मंजन, सब्जी मसाला, टूथ ब्रश आदि ग्रहस्थी का सामना दिया जा रहा है। अपने आप में यह अनूठा प्रयास है उनका कहना है कि और भी गांवों में यह व्यवस्था लगवाया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण निवासियों को इसका लाभ होगा और कूड़ा करकट प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।
यह योजना काफी प्रसिद्धि भी पा रही है इसी कारण आसपास और दूरदराज के लोगों को भी लुभा रही है। बहुत से ग्राम प्रधान इस बारे में विस्तार से जानने और अपनी पंचायतों में इसे शुरू करने के लिए अमित राज यादव से मुलाकातें कर रहे हैं।
अमित राज यादव ने बताया कि - "इस पहल की शुरुआत करने से कई फायदे हैं एक तो लोगों में कूड़े के सही निस्तरण की भावना बलवती हो रही है दूसरे पंचायत में स्वच्छता कायम रहती है, अब ज्यादातर घरों के बाहर दरवाजे पर, सड़क पर, नालियों में कूड़ा नहीं फेंका जाता!"
योजना कैसे काम कर रही है, इस बारे में अमित राज यादव ने बताया कि कि ग्रामीणों द्वारा लाए कूड़े को आठ श्रेणियों में अलग डस्टबिन में तौल कर इकट्ठा किया जाता है। इससे पेपर, प्लास्टिक,कांच, प्लास्टिक की बोतल, धातु (लोहा), बायोमेडिकल, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट और गीले कूड़े के बदले उसे एक ग्रीन क्रेडिट पर्ची दी जाती है। कूड़ा लाने की कोई न्यूनतम बाध्यता नही है। पहले कचरे को डस्टबिन में अलग-अलग विभाजित किया जाता है। इसके बाद कूड़ा घर पर रखा जाता है, जब इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो वाहन के माध्यम से रिसाइकिलिंग प्लांट भेज दिया जाता है, इस परियोजना को जिले के ग्राम विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक राजेश त्रिपाठी की मदद से अंजाम दिया जा रहा है।
अमित राज यादव इस योजना की सफलता का श्रेय पहले अपने यहां की जागरूक जनता फिर शासन -प्रशासन के अधिकारियों और संस्थाओं को देते हैं।
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