देवां ब्लाक: पंचायत चुनाव के लगभग छह महीने बाद की स्थिति (Part- 1)

बाराबंकी: जिले के देवा ब्लाक में पंचायत चुनावों के छह महीने बाद की स्थिति यह है कि कहीं कहीं तो कुछ कार्य हो रहे हैं पर कहीं विकास का रास्ता बंद है।


मित्तई पंचायत में मुनेश्वर प्रधान पर लगातार लोगों ने विश्वास जताया है और उन्हें जिताया है वे मित्तई में लगातार अच्छा कार्य कर रहे हैं।

इस्माइलपुर पंचायत में बस एक ही शख्स की चर्चा है और वह हैं जयकरन प्रधान। हालांकि इस्माइलपुर की प्रधान उनकी बहू सुमन देवी हैं और लगातार दूसरी बार प्रधान हैं, पर इन सबके पीछे पूर्व प्रधान जयकरन की अपनी छवि का कमाल है। बहुत विकास कार्य हुए हैं, काफी कार्य हो रहे हैं। और जयकरन प्रधान खुद ही अपने सामने बैठ कर सारा काम करवाते हैं। प्राथमिक स्कूल में देखने लायक कार्य हुए हैं, तीन फिट की जगह चार फिट टाइल्स लगवाए है, और किचन में तो पूरी दीवार टाइल्स पत्थरों से घिरी है। बहुत अच्छे और बहुत मजबूत कार्य हो रहे हैं। पंचायत घर देखने वाला बन रहा है। जयकरन प्रधान की खासियत है कि वे हर  जरूरी विकास के काम करवा कर रहते हैं इसके लिए भले ही उन्हें, जिला स्तर या प्रदेश स्तर के मुख्यालय या फिर लखनऊ, या फिर किसी मंत्री आदि तक क्यों न जाना पड़े। जनता हो या अधिकारी सभी उनकी लगन की प्रशंसा करते हैं।

माधौपुर की प्रधान सविता देवी अपनी पंचायत का चहुंमुखी विकास करवा रही हैं। उनके पति क्षेत्र के जाने माने व्यक्ति और समाज सेवी हैं ‌‌और उनके ससुर जैसीराम वर्मा रामनगर क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य हैं। सतीश वर्मा ने बताया कि उनका परिवार राजनीति और समाज सेवा से जुड़ा रहा है लोगों के रहन-सहन में सुधार हो इसलिए उन्होंने प्रधान पद का चुनाव लड़ा और अब वे लोगों तक सभी विकास पहुंचा रहे हैं। उनकी उपलब्धि और उनके कार्य करने का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि माधौपुर प्राथमिक विद्यालय की बाउंड्री को बनवाया जो करीब 60 साल से नहीं बनी थी। स्थानीय दबंग लोग उसे कभी बनने ही नहीं दे रहे थे। सतीश वर्मा ने बताया कि वे पंचायत में एक बारात घर बनवाने का प्रयास कर रहे हैं।

मलूकपुर के नवनिर्वाचित प्रधान नारद मुनि को लोगों ने इसलिए प्रधान चुना कि मजरा अकटहिया में पिछले ५२ साल से प्रधानी आई ही नहीं थी, अकटहिया गांव पूरी तरह से चारों ओर रास्ता विहीन है, अकटहिया और उस पूरे क्षेत्र में दशकों से कोई विकास हुआ ही नहीं। नारद मुनि ने बताया कि उनकी प्राथमिकता नहर पर पुल बनवाना भी है, वे पंचायत में कई सरकारी भवनों के निर्माण के साथ रास्तों का सुधार करवाना है़।

मामापुर के अमित कुमार पंचायत में बहुत काम करवाना चाहते है, क्योंकि पंचायत में काम बहुत है, पर उनका कहना है कि बजट बहुत कम दिया जा रहा है और समय पर नहीं दिया जा रहा है। नाली खड़जों के सुधार के साथ स्ट्रीट लाइटें लगवाना है।

पीरानगर के संजय सिंह के क्षेत्र की कथा भी वैसी ही है जैसी मलूकपुर अकटहिया की हैं। उनके मजरों का यह हाल है कि गांव वालों ने बड़ा दिल दिखाते हुए गांव के रास्तों के लिए अपने खेत की जमीनें दान कर दी हैं। इसके साथ सरकारी भवनों के निर्माण और अन्य नाली खड़जों रास्तों पर ध्यान भी दे रहे हैं।

मियांपुर के रामचंद्र वर्मा, टिकरिया के राजेंद्र यादव और महरौड़ के कृष्ण कुमार तीनों पूर्व में प्रधान रहे हैं इनके कार्यों को याद रखते हुए जनता ने इनकी सीट आने पर फिर इन्हें जिताया तीनों इस कार्यकाल में भी अच्छा कार्य कर रहे हैं और ज्यादा अच्छा करने के प्रयास में हैं।
बीकर के दिनेश कुमार लगातार प्रधान हैं। सड़कें, सामुदायिक शौचालय आदि बनवा चुके हैं। कई और काम करवा रहे हैं।

सैहारा पंचायत में विजय कुमार प्रधान चुने गए हैं। उनके प्रतिनिधि अमित रावत ने बताया कि जल निकासी, सड़कें नाली खड़ंजे आदि उनकी प्राथमिकता में है। पंचायत घर, सामुदायिक शौचालय आदि का काम चल रहा हैं, स्कूलों में भी कायाकल्प हो रहा है।

दौड़िहारा के मो. अल्ताफ सरकारी भवनों के निर्माण, मरम्मत और रास्तों के सुधार का कार्य लगातार कर रहे हैं ‌‌पंचायत में करीब १५० लोगों को स्वच्छ भारत मिशन वाले निजी शौचालय नहीं मिल सके हैं जिसके लिए प्रयासरत हैं।

सिदवाही में तहसीन जहां को लोगों ने एक कार्यकाल बाद फिर से मौका दिया है। इस बार प्रधान का पद संभालते ही उन्होंने बहुत तेजी से विकास कार्य करवाए हैं। स्कूल आदि में लगभग सभी काम पूरे हो चुके हैं। पंचायत घर, सामुदायिक शौचालय अधूरा है जिसे पूरा करवाने का प्रयास है। उनके पति मो. मेराज आलम क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति हैं, वे बाराबंकी शहर में सभासद भी रहे हैं। दोनों पति-पत्नी जनप्रतिनिधि के पद पर अपनी अपनी जनता की सेवा करते आ रहे हैं। मो. मेराज आलम ने बताया कि प्रधान पद संभालते ही अपने पैसे से प्राइवेट लेवर लगाकर पूरी पंचायत की सफाई करवाई थी। और बढ़िया सफाई व्यवस्था व लोगों की सुविधा के साथ सब पात्रों को आवास शौचालय आदि दिलाने के प्रयास में हैं।

मुज्जफरपुर में की प्रधान नीलम ने कहा कि पंचायत में बारात घर का मरम्मत करवाया है। स्कूलों में वायरिंग करवानी है। उनके पति लालाराम रावत ने कहा कि उनकी पंचायत में पंचायत भवन ही नहीं है, जिसका प्रयास किया जा रहा है। पुराने प्रधानों द्वारा बिना लगवाए छोड़ दिए गए कूड़ेदान अब मरम्मत करवा कर लगवाए जा रहे हैं। राशन वितरण व्यवस्था सही नहीं है।

धौरमऊ के प्रधान अनवर अली 2010 से 15 के बीच प्रधान रहे हैं। उन्होंने कहा कि तालाबों में खूब पानी भरा होने के कारण कच्चा काम नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कराए जा चुके कामों की पेमेंट नहीं की जा रही है। काम करवाना बेहद मुश्किल है। फिर भी विकास के प्रयास जारी हैं।

चंदौली के प्रधान आशीष गुप्ता की सबसे बड़ी शिकायत, कमी और प्रयास सरकारी स्कूल के लिए है। पंचायत में दूर-दूर तक कोई स्कूल नहीं है, चंदौली के छोटे बच्चों को धूप, बारिश और कोहरे में अन्य पंचायतों के स्कूलों में जाना पड़ता है। प्रधान आशीष गुप्ता बड़े सरल और सीधे व्यक्ति हैं। इतने कि इसका फायदा सफाई कर्मी भी उठा रहा है। आकर बैठा लेटा रहता है और काम नहीं करता।

गौरिया पंचायत के प्रधान परशुराम को पूरे गांव ने चुनाव लड़ने के लिए खड़ा किया उनके न चाहते हुए भी और उनको जिताया भी। आज छह महीने बाद उन्होंने बहुत सारे कार्य करवाए है। मिनी सचिवालय की मरम्मत करवा रहे है, सामुदायिक शौचालय अधूरा है, पंचायत घर अधूरा है। प्रधान ने कहा कि अधिकारी सहयोग करें तो ये काम पूरे करवाए जाएं। इसके साथ नाली आदि भी बनवाने की योजना है ताकि जलनिकासी हो सके। स्कूलों में दिव्यांग शौचालय बनवाए हैं। इसके साथ प्रधान ने पंचायत के सफाई कर्मी के काम की बहुत तारीफ की।

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