रिया सिंह की रिपोर्ट :-
लखनऊ : जिले के ग्रामीण क्षेत्र के बहुत से सरकारी स्कूल आज काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं और उनकी बहुत चर्चा भी होती है। लेकिन इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि ग्रामीण ही नहीं नगरीय क्षेत्र के सरकारी स्कूल भी अच्छा कार्य कर रहे हैं। वहां का रखरखाव शिक्षा व्यवस्था, मिड डे मील और शिक्षा के प्रति सभी का समर्पण तारीफ के काबिल हैं।
प्राथमिक विद्यालय भिठौली खुर्द, चिनहट को देखकर के कोई यह सोच नही सकता है कि सरकारी स्कूल भी इतने अच्छे हो सकते हैं। यहां बच्चों कि शिक्षा , खेलकूद और स्कूल की रखरखाव कि बात अपने में मिसाल है।
यहां कि प्रिंसिपल आरती सिंह ने अपने प्रयासों से स्कूल में टिन शेड लगवाया है, उन्होंने ने एक बहुत अच्छी लाइब्रेरी बनवाईं है जहां बहुत सारी कहानियों की शिक्षाप्रद किताबें भी हैं।
स्कूल का शौचालय अच्छी कंडीशन में है, यहां बालक, बालिकाओं और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग शौचालय बने हुए हैं। स्कूल में सफाईकर्मी नहीं है इसलिए खुद ही सारा स्कूल मिलकर पूरे स्कूल की सफाई करते हैं।
इसके अलावा बच्चों के खेल कूद से जुड़ी लगभग सभी व्यव्स्थाएं हैं और बच्चों के सभी तरह के खेल सिखाए जाते हैं। प्रार्थना के बाद योग और पीटी सिखाया जाता है।
स्कूल का शिक्षा के प्रति समर्पण ऐसा है कि जब लाॅकडाउन था और तब बहुत से बच्चों के पास स्मार्टफोन फोन नहीं थे तब उनकी टीचर घर- घर जाकर बच्चों को पढ़ाई करवाती थीं। स्कूल मरम्मत आदि को लेकर कायाकल्प योजना के जरिए बहुत काम हुए हैं। निवर्तमान ग्राम प्रधान विशंम्भर ने भी काफी सहयोग किया है।
ठीक इसी तरह उच्च प्राथमिक विद्यालय रायपुर, चिनहट है।
यहां की शिक्षा, खेलकूद और स्कूल का रखरखाव बहुत ही अच्छा है। यहां के बच्चों ने बहुत सी प्रतियोगिता में भी भाग लिया है।
प्रिंसिपल अमिता सचान के अनुसार जब वे २०१८ में स्कूल में आई थीं तब स्कूल कि स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी, उसके बाद उन्होंने तब से अब तक काफी सुधार करवाया है।
यहां की समस्त शिक्षिकाओं के सहयोग से स्कूल में दो कमरे भी बनवाए गए हैं ताकि बच्चों को ज्यादा सुविधा मिल सके। शौचालय ठीक है, पानी की अच्छी व्यवस्था है और बच्चों के खेलने के लिए बहुत सारे झूले आदि भी लगे हुए हैं।
इन सरकारी स्कूलों और यहां कि व्यवस्थाएं, सुविधाएं देखकर् ऐसा लगता है निजी स्कूल भी सब ऐसे नहीं होंगे।
बीईओ इन्द्रा देवी का कहना है कि बहुत स्कूलों में प्रिंसिपल और टीचर की इच्छा शक्ति और बच्चों के बेहतर भविष्य बनाने के जज्बे से कई स्कूलों की स्थिति बेहतर हुई है, सरकार और जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिल रहा हैै। सभी स्कूलों को हर क्षेत्र में विकसित करने का प्रयास चल रहा है।
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