आज विश्व परिवार दिवस है। रोजी-रोटी के लिए घर से दूर रहने वाले लोगों के लिए कोरोना काल में परिवार की अहमियत बढ़ गई है। परिवार से आशय केवल पति, पत्नी और बच्चों से नहीं, बल्कि उस परिवार से है, जिसमें मां है, बाबू जी हैं, दादा हैं दादी हैं। चाचा हैं। चाची हैं। भइया हैं। भाभी हैं। नाना से जुड़ाव है और नानी की कहानी भी है। यही वजह है कि भारत में हर करीब-करीब हर रिश्ते के नाम पर गांव और कस्बें मिल जाएंगे पर दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते यानी माँ के नाम पर देश में कोई गांव या क़स्बा नहीं है। जबकि, बहन के नाम पर 8, पिता 6, मामा 3 और एक गांव मामी के नाम पर भी है।
दो सौ गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देशभर में सैकड़ों ऐसे गांव-कस्बे हैं, जहां से इन रिश्तों की खुशबू आती है। इनमे सबसे ज्यादा गांव-कस्बे नाना और नानी के नाम पर हैं। दो सौ गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी जुड़ा हुआ है। जितने नाना उतने नानी। जिस गुजरात में मोटा भाई सबसे ज्यादा बोला जाता है, वहां 91 गांव-कस्बे नानी और 82 नाना के नाम पर हैं । इसके बाद हिमाचल प्रदेश में 4, राजस्थान में 2, उप्र और मप्र में एक-एक गांव नाना के नाम पर हैं । पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक नानी के नाम पर हिमाचल प्रदेश में एक, राजस्थान में 6, मप्र में 4 गांव हैं, जबकि उप्र में एक भी नहीं।
गांव-कस्बे | संख्या | सबसे ज्यादा |
नाना | 100 | 91 गुजरात में |
नानी | 100 | 82 गुजरात में |
भाई | 30 | 10 पंजाब में |
भइया | 21 | 13 उप्र में |
दोस्त | 15 | 11 उप्र में |
माँ | 0 |
दादा-दादी के नाम पर सिर्फ 30 गांव
दादा-दादी के नाम पर सिर्फ 30 गांव हैं। इनमें से 16 दादा और 14 दादी के नाम पर। दादा के नाम पर सबसे ज्यादा चार-चार गांव हिमाचल और उप्र में हैं, वहीं उत्तराखंड में तीन, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश में दो-दो व पंजाब में एक गांव दादा के नाम पर है। दादी की बात करें तो सबसे ज्यादा 6 गांव या कस्बे मप्र में हैं। जबकि, उप्र में चार, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक है। इसके आलावा काका-काकी के नाम पर भी अलग-अलग राज्यों में 11 गांव हैं ।
उप्र में भइया और दोस्त
भइया और दोस्त बनाने में यूपी वाले पीछे नहीं हैं। देश भर में 21 गांव या कस्बे के नाम में भइया शब्द जुड़ा हुआ है। इनमें से अकेले 13 गांव उत्तर प्रदेश में हैं। इसके आलावा बिहार व राजस्थान में तीन-तीन और पश्चिम बंगाल में दो गांव भइया के नाम पर हैं। दोस्त के नाम पर 15 गांवों में से 11 उप्र और चार बिहार में हैं। भाई के नाम पर 30 गांवों में से अकेले दस पंजाब में हैं। भाभी के नाम पर भी दो गांव हैं, एक उप्र में तो दूसरा बिहार में।