ऑस्ट्रेलिया में 10 लाख की नौकरी छोड़ प्रधानी चुनाव में कूदा ये शख्स

 

कई गांवों में इस बार काफी पढ़े लिखे और सफल युवाओं ने प्रधानी के लिए दावेदारी पेश की है.

कानपुर. उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार  बनाने के लिए 15 अप्रैल को मतदान होना है. इस चुनाव में पहली बार गांव की तस्वीर बदलने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त प्रत्याशी  मैदान में उतरे हैं. कुछ एमटेक हैं तो कुछ जेएनयू से पीएचडी कर चुके हैं. यही नहीं एक प्रत्याशी ऐसे भी हैं, जिन्होंने 5 साल तक ऑस्ट्रेलिया में मास्टर इन इंजीनियरिंग और मास्टर इन इंटरनेशनल बिजनेस की डिग्री ली है. इसके बाद विदेश में लाखों के पैकेज वाली नौकरी दरकिनार करके चुनावी मैदान में उतरे हैं.

सरसौल ब्लॉक के नसोडा निवासी 30 वर्षीय अरुण तोमर और उनकी पत्नी डॉ विजय रत्ना हैं. अरुण तोमर गांव में प्रधानी लड़ रहे हैं तो पत्नी पूर्वामीर क्षेत्र से निर्विरोध बीडीसी सदस्य पद पर निर्वाचित हो चुकी हैं. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद अरुण 2009 में ऑस्ट्रेलिया पढ़ाई करने चले गए थे. वहां पढ़ाई पूरी करने के बाद 10 लाख रुपए सालाना पैकेज की नौकरी की. वे बताते हैं कि कुछ करने की चाहत उन्हें वापस अपने वतन अपने प्रदेश अपने गांव तक ले आई. अब वह ग्राम पंचायत के जरिये गांवों की तस्वीर बदलने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.

चुनाव में इस बार पढ़े-लिखे नौजवानों की फौज
वैसे अरुण तोमर ही नहीं इस बार पंचायत चुनाव में कई एमबीए, एमकॉम, बीएड और एलएलबी पास युवा भी चुनाव मैदान में उतरे हैं. ऐसा ही कुछ जबलपुर महाराजपुर के देवकली गांव में देखने को मिला है. मैदान में उतरे इन शिक्षित प्रत्याशियों की सोच है कि जीत के बाद शिक्षा व रोजगार के साधन तैयार कर गांव को मॉडल रूप में तैयार करेंगे.