आरक्षण के नए फार्मूले से बड़े बदलाव की संभावना, जानें क्‍या हो सकता है असर

 

नए सिरे से आरक्षण लागू होने का असर यह होगा कि जो सीटें चंद रोज पहले आरक्षित हुई थीं, वे अनारक्षित हो सकती हैं या फिर किसी और कैटेगरी में शामिल हो सकती हैं.

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया पर इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब इसकी औपचारिकताएं नए सिरे से शुरू की जाएंगी. ऐसी संभावनाएं भी जताई जाने लगी हैं कि पिछले दिनों आरक्षण के दायरे में आए कई पंचायतों, जिला पंचायतों और ब्लॉक प्रमुख सीटों में बदलाव हो सकता है. इसके साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर कम से कम 60 फीसदी के आसपास सीटों पर नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा.

अदालत के आदेश के बाद कई ब्लॉक प्रमुख और ग्राम पंचायत स्तर के संभावित दावेदारों में मायूसी देखी जा रही है. प्रधान स्तर के संभावित प्रत्याशी बताते हैं कि लगातार चुनावी प्रक्रिया के आगे पीछे होने के कारण प्रतिदिन लोगों को जोड़े रखने के लिहाज से बहुत अधिक खर्चा हो रहा है. नए सिरे से आरक्षण लागू किए जाने का असर यह होगा जो सीटें अब से चंद रोज पहले आरक्षित हुई थीं, वे अनारक्षित हो सकती हैं या फिर किसी और कैटेगरी में शामिल हो सकती हैं.

सभी सीटें प्रभावित होंगी
आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पंचायतों के आरक्षण में बड़ा फेरबदल होने की संभावना है. इससे ग्राम प्रधानों के साथ-साथ बीडीसी, ब्‍लॉक प्रमुख तथा जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष के आरक्षण के भी प्रभावित होने की संभावना है. अब कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण की व्‍यवस्‍था की जाएगी. इसके चलते अभी तक किए गए आरक्षण में काफी फेरबदल होने की संभावना बनी हुई है. पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर कवायद एक बार तो पूरी हो गई थी, लेकिन अब कोर्ट के आदेश पर अंतिम आरक्षण का प्रकाशन रोक दिया गया. अब कोर्ट के आदेश पर नये सिरे से आरक्षण किया जाएगा. इस प्रक्रिया के चलते अभी जो आरक्षण किया गया था उसमें बड़े पैमाने पर फेरबदल की संभावना बनी हुई है. इस फेरबदल से त्रिस्तरीय पंचायत की सभी सीटें प्रभावित होंगी.
इसमें अभी आरक्षित की गई कई सीटें अनारक्षित होने की संभावना है. इसी तरह अनारक्षित सीटों के आरक्षित होने की संभावना बनी हुई है. अब आरक्षण के लिए नए नियमों के हिसाब से पंचायतीराज विभाग को एक बार फिर आरक्षण की पूरी कवायद करनी होगी. इसके लिए शासन की ओर से कार्यक्रम निर्धारित किया जाएगा. इसमें आरक्षण के अंतिम प्रकाशन के बाद आपत्तियां लगाने का समय दिया जाएगा. आरक्षण दोबारा किए जाने से उन तमाम चेहरों पर रौनक आ गई है जो इस आरक्षण के चलते चुनाव मैदान से बाहर हो गए थे. उन्हे लग रहा है कि अब आरक्षण में बदलाव होगा और नये आरक्षण में वे चुनाव मैदान में उतरकर अपनी किस्मत आजमा सकेंगे. कुछ दावेदार तो काफी दिनों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन आरक्षण में वे फिट नहीं बैठे. ये दावेदार अब खुश हैं और यह उम्मीद कर रहे हैं कि नया आरक्षण उनके चुनाव मैदान में उतरने लायक होगा.