Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021: सरकार के नियम के मुताबिक, सबसे पहले एसटी, एससी, ओबीसी की सीटें आरक्षित (Reservation) की जाती है. फिर बची सीटें एक तिहाई सामान्य महिला और जनरल कैटगरी को जाती है. आरक्षण की सूची से पहले एक आसान फॉर्मूले से समझे की आपकी सीट किस कैटेगरी में आरक्षित हो सकती है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी है. यानी ये बता दिया गया है कि किसी सीट की कैटेगरी डिसाइड करने का क्या फॉर्मूला होगा. आरक्षण की सूची तो फिलहाल बाद में आएग, लेकिन इससे पहले ही आपको न्यूज़ 18 ये बता रहा है कि रिजर्वेशन कैसे होगा. इस फॉर्मूले के जरिये आप खुद से भी अंदाजा लगा सकते हैं कि आपकी सीट इस बार के चुनाव में जनरल होगी या फिर रिजर्व. इसे समझना भी बहुत आसान है.
आरक्षण के शासनादेश में कहा गया है कि सबसे पहले ST, फिर SC, इसके बाद OBC के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी. इनका आरक्षण पूरा करने के बाद जो सीटें बच जाएंगी उनमें से एक तिहाई सामान्य महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी. इसके बाद जो सीटें बचेंगी वो जनरल कैटेगरी में आ जाएंगी. पंचायत में 49 फीसदी सीटें रिजर्व हैं. 1 फीसदी एसटी, 21 फीसदी एससी, 27 फीसदी ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. बची 51 फीसदी सीटें सामान्य की हैं. सभी कैटेगरी की एक तिहाई सीटें महिलाओं को दी जाती हैं.
ऐसे समझे आरक्षण की प्रक्रिया और सीटों का बंटवारा
आरक्षण के शासनादेश में कहा गया है कि सबसे पहले ST, फिर SC, इसके बाद OBC के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी. इनका आरक्षण पूरा करने के बाद जो सीटें बच जाएंगी उनमें से एक तिहाई सामान्य महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी. इसके बाद जो सीटें बचेंगी वो जनरल कैटेगरी में आ जाएंगी. पंचायत में 49 फीसदी सीटें रिजर्व हैं. 1 फीसदी एसटी, 21 फीसदी एससी, 27 फीसदी ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. बची 51 फीसदी सीटें सामान्य की हैं. सभी कैटेगरी की एक तिहाई सीटें महिलाओं को दी जाती हैं.
ऐसे समझे आरक्षण की प्रक्रिया और सीटों का बंटवारा
आरक्षण की व्यवस्था में जो सबसे पहला नियम देखा जाएगा वह ये है कि अगर कोई पंचायत साल 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 में रिजर्व कैटेगरी में रही होगी तो उसके इस बार जनरल होनी की पूरी संभावना है. साथ ही अगर कोई सीट जनरल में रही होगी तो अबकी बार वो रिजर्व हो जाएगी. अब रिजर्व का मतलब ये है कि चाहे वो एससी में या फिर ओबीसी में रिजर्व रही हो. मसलन अगर पिछले चुनाव में कोई सीट ST के लिए रिजर्व रही होगी तो उसे इस बार इससे बाहर रखा जाएगा. इसी तरह कोई सीट अगर SC और OBC के लिए भी रिजर्व रही होगी तो इस साल उसे इस कैटेगरी से बाहर रखा जाएगा.
प्रदेश में ऐसी बहुत सी सीटें हैं जो 1995 के बाद से अभी तक कभी सामान्य नहीं रहीं. ऐसी सीटें इस बार भरसक सामान्य हो जाएंगी. पंचायतों में आरक्षण की व्यवस्था साल 1995 से शुरू हुई थी. इस नियम के पालन के बाद रोटेशन का सिस्टम देखा जाएगा. रोटेशन के इस सिस्टम को आसान भाषा ऐसे समझिए कि जो सीट जिस कैटेगरी के लिए 2021 से जितनी पहले आरक्षित रही होगी उसका नंबर इस बार सबसे पहले रहेगा. मान लीजिए कोई पंचायत 1995 में एससी के लिए, 2000 में ओबीसी के लिए, 2005 में फिर एससी के लिए, 2010 में जनरल के लिए और फिर 2015 में एससी के लिए आरक्षित रही है तो इस बार इसके ओबीसी में जाने की संभावना ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये सीट एससी के लिए दो बार और जनरल के लिए एक बार आरक्षित रह चुकी है.
प्रदेश में ऐसी बहुत सी सीटें हैं जो 1995 के बाद से अभी तक कभी सामान्य नहीं रहीं. ऐसी सीटें इस बार भरसक सामान्य हो जाएंगी. पंचायतों में आरक्षण की व्यवस्था साल 1995 से शुरू हुई थी. इस नियम के पालन के बाद रोटेशन का सिस्टम देखा जाएगा. रोटेशन के इस सिस्टम को आसान भाषा ऐसे समझिए कि जो सीट जिस कैटेगरी के लिए 2021 से जितनी पहले आरक्षित रही होगी उसका नंबर इस बार सबसे पहले रहेगा. मान लीजिए कोई पंचायत 1995 में एससी के लिए, 2000 में ओबीसी के लिए, 2005 में फिर एससी के लिए, 2010 में जनरल के लिए और फिर 2015 में एससी के लिए आरक्षित रही है तो इस बार इसके ओबीसी में जाने की संभावना ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये सीट एससी के लिए दो बार और जनरल के लिए एक बार आरक्षित रह चुकी है.