जमातियों के सपंर्क में आए पश्चिमी यूपी के 38000 लोग, तलाश में जुटी एसटीएफ

स्कैनिंग से पता चला है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 38 हजार लोग कहीं न कहीं जमातियों से संपर्क आए हैं। पुलिस के मुताबिक दिल्ली मरकज से निकले हुए जमाती होटलों में, रास्ते में रुके, खाना खाया या फिर मस्जिद में रुके। कुछ जमाती अपने सगे, संबंधियों और रिश्तेदारों के यहाँ भी ठहरे।



पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए एसटीएफ को लगाया गया है। निजामुद्दीन इलाके से 3 लाख से अधिक बीटीएस डाटा की स्कैनिंग के बाद पश्चिमी यूपी के 38 हजार लोगों के जमातियों से संपर्क मिले हैं। एसटीएफ इनकी तलाश कर रही है।


एसटीएफ ने 27 मार्च को दिल्ली निजामुद्दीन मरकज के आसपास के मोबाइल टावरों के बेस ट्रांससीवर स्टेशन (बीटीएस) का डाटा उठाया। तीन लाख से भी ज्यादा नंबर इस डाटा में आए। इसके बाद बड़े स्तर से अभियान शुरू कर इन सभी की आईडी जाँच कर एसटीएफ ने प्रदेश के सभी जनपदों को सूची भेजी।


स्कैनिंग से पता चला है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 38 हजार लोग कहीं न कहीं जमातियों से संपर्क आए हैं। पुलिस के मुताबिक दिल्ली मरकज से निकले हुए जमाती होटलों में, रास्ते में रुके, खाना खाया या फिर मस्जिद में रुके। कुछ जमाती अपने सगे, संबंधियों और रिश्तेदारों के यहाँ भी ठहरे।


अब पुलिस प्रदेश में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए इन सभी लोगों के संदिग्ध मान रही है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इन सभी लोगों की जाँच बेहद जरूरी है। इसके बाद एसटीएफ ने प्रदेश में ऐसे लोगों की तलाश तेज कर दी है।


मेरठ जोन के आठ जिलों की बात करें तो इनमें से 14,342 लोगों को रडार पर लेकर इनकी तलाश की जा रही है। इसके लिए सर्विलांस टीमों और प्रत्येक जिले में गठित कोरोना सेल को भी मामले में लगाया गया है। इतना ही नहीं इसकी रोजाना की रिपोर्ट शासन को भी भेजी जा रही है।


आपको बता दें कि निजामुद्दीन घटना के बाद से ही प्रदेश में जमातियों को खोजने का अभियान जारी है। इतना ही नहीं इसमें सरकार को बड़ी सफलता भी मिली है। आँकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ में 1530, बागपत में 920, सहारनपुर में 1220, मुजफ्फरनगर में 1830, हापुड़ में 1240, बुलंदशहर में 1320, गाजियाबाद में 1530 और शामली जिले में 1220 जमातियों को खोजकर निकाला जा चुका है। पकड़े गए सभी जमातियों को क्वारंटाइन किया जा चुका है।


इससे पहले इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तबलीगी जमात के सैकड़ों सदस्य अभी भी लापता हैं। इन सदस्यों को ट्रैक किया जा रहा है और एजेंसियाँ ​​इन्हें ढूँढने की पुरजोर कोशिश में लगी हैं। इसके बावजूद भी इनका पता लगाना काफ़ी मुश्किल हो रहा हैं।