रामपुर में सांसद आजम खान की दहशत के आलम को देखते हुए पहले तो लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि आजम को पूरे परिवार के साथ जेल भेज दिया गया है लेकिन जब यकीन आया तो लोग मिठाई बांटते नजर आए। भाजपा के कार्यकर्ता तो बाकायदा जश्न मनाते नजर आये।
आजम खान 1980 में पहली बार रामपुर सीट से विधायक चुने गए थे। तब से लेकर आज तक रामपुर में आजम खान का ही चुनावी सिक्का चलता रहा। 1992 में नेताजी के नाम से मशहूर हो चुके मुलायम सिंह यादव ने जब अपनी खुद की पार्टी बनाने का फैसला किया तो आजम खान उनके साथ हो गए। आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और तभी से मुलायम सिंह यादव के खास बनते चले गए। मुलायम के माई समीकरण में आजम खान सपा के बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभरे और लगातार मजबूत होते चले गए। रामपुर से लेकर लखनऊ तक उनकी हनक बढ़ती चली गई। नाराज होने पर कभी मुलायम आजम खान को मनाते नजर आए तो कभी अखिलेश। 2009 में अमर सिंह के कारण जब आजम खान ने सपा से किनारा कर लिया तो मुलायम सिंह यादव ने अपने सबसे करीबी अमर सिंह को धीरे-धीरे साइड करते हुए आजम को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। रामपुर में वही होता था जो आजम खान चाहते थे। जब मन किया जयाप्रदा को चुनाव जिता दिया, जब मन किया जयाप्रदा को बेइज्जत करके चुनाव हरा दिया। आजम स्वयं 9 बार रामपुर से विधायक चुने गए।
आजम खान की ठसक का आलम ये था कि कोर्ट के बार-बार सम्मन जारी करने के बावजूद वो अदालत के सामने जाना पसंद नहीं करते थे और नतीजा अदालत को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना पड़ा। इस सप्ताह बुधवार को बेटे अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में आजम खान को अपनी पत्नी और बेटे सहित जेल जाना पड़ा। इससे पहले मंगलवार को ही अदालत ने उनकी संपत्ति की कुर्की का आदेश जारी किया था। बुधवार को आजम खान ने परिवार सहित अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया। उनके वकीलों ने 17 मामलों में जमानत की अर्जी दाखिल की। कुछ में जमानत मिल गई, कुछ में तारीख मिली और बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में जैसे ही उनकी जमानत याचिका खारिज हुई। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए तीनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दे दिया।