इस बावड़ी की भूल भुलैया में 12 साल तक नहीं पकड़ा गया था चोर


राजस्थान। फतेहपुर में संवत 1671 में बनी बावड़ी ब्यूटी व बनावट की वजह से वल्र्ड फेमस है। बावड़ी ऐसी भूल भुलैया के रूप में बनी है, जो बेहद खूबसूरत और देखने वालों को हैरत में डाल देती है। फतेहपुर नवाब अलिफ खां के शहजादे दौलत खां की देखरेख में बावड़ी को नागौर के शेख महमूद कारीगर ने बनाया था।

 

नगर फतहपुर नगरां नागर के लेखक व इतिहासकार रामगोपाल वर्मा लिखते हैं कि इस बावड़ी में एक चोर खाफरिया 12 साल तक छिपा रहा था। लेकिन, भूल- भुलैया की वजह से किसी को भी उसकी भनक तक नहीं लगी। अनूठी बनावट व खूबसूरती ही है कि प्रसिद्ध इतिहासकार पंडित द्वारका चतुर्वेदी ने 'आश्चर्य सप्तदशी पुस्तक में इसे विश्व के 17 आश्चर्यों में शामिल किया था। चतुर्वेदी ने भी लिखा है कि बावड़ी में एक डकैत लंबे समय तक छिपा रहा। लेकिन, विडंबना है कि ऐसी बावड़ी शासन व प्रशासन की अनदेखी से कचरा पात्र बनकर रह गई है।

 

स्थापत्य कला का नमूना बावड़ी काफी बड़ी और सुंदर होने के साथ मध्यकालीन भारत की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। जो अद्भुत वास्तु व शिल्पकला की निशानी भी है। इतिहासकारों के मुताबिक बावड़ी के चारों ओर बगीचा और नवाबी बेगमों के आने के लिए सुरंग बनी हुई थी। आड़ी टेढी सीढियों के नीचे नीचे में कक्षा द्वार व खिड़कियों के साथ बेहद पेचीदी बनावट सबको अट्रेक्ट करती थी। बावड़ी में नीचे उतरकर ऊपर देखने का दृश्य पेनोरेमिक है।

 

अजम इमारत ए बा रौनकी बा लम आनी षिना ए मुहकम बाद बा शादमा वानी व हुकमे दौलत खां शेर बिन अलफ खानी शुदस्त जारि तारीख जन्नते सानी यानी यह अजम इमारत है। रौनक वाली है। रोशनी वाली है। मजबूत व आनंद देने वाली है। अलिफ खां के शेर पुत्र दौलत खां के हुक्म से बनी है 'जन्नते सानीÓ(बावड़ी शिलालेख का एक भाग)।