जनरल कासिम सुलेमानी का कद ईरान के पावर-स्ट्रक्चर में बहुत बड़ा था। ईरान के सबसे ताकतवर नेता सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के बाद अगर ईरान में किसी को दूसरा सबसे ताकतवर शख्स समझा जाता था तो वो थे- जनरल कासिम सुलेमानी।
सुलेमानी की मौत के बाद ये तो तय माना जा रहा था कि ईरान इसका बदला जरूर लेगा। आधी रात का वक्त लगभग एक बजकर तीस मिनट, सारा ईरान सोया हुआ था। इराक भी नींद की बेहोशी में डूबा हुआ है और रात के घुप्प अंधेरे में अचानक तेहरान का आसमान रोशनी से जगमगा उठता है। एक साथ 22 बेलेस्टिक मिसाइलें दो लक्ष्यों की ओर बढ़ती हैं। पहला लक्ष्य इराक के उत्तरी पश्चिमी छोर पर बसे शहर इरबिल और दूसरा बगदाद के अल असद के नजदीक अमेरिकी अड्डे। ईरानी मिसाइलें अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर कहर बनकर टूट पड़ीं, गहरी नींद से जगाए गए 73 साल के डोनाल्ड ट्रंप तिलमिला उठे। ईरान ने अमेरिकी अड्डों पर हमले का वही वक्त चुना था जो अमेरिका ने जनरल सुलेमानी की हत्या के लिए चुना था। लेकिन सुलेमानी के जनाजे में उमड़े जनसैलाब ने ये बता दिया था कि ईरान के दिल में क्या था। ईरान ने दावा किया कि इन हमलों में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई ने कहा कि ये अमेरिका के मुंह पर तमाचा है। माइनस पांच डिग्री सेल्सियस तापमान पर अकड़ा हुआ वाशिंगटन खौलने लगा। ट्रंप ने ट्वीट किया सब ठीक है। ईरान ने इराक में हमारे दो सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमला किया है। मौतों और नुकसान का पता लगाया जा रहा है। सब अच्छा है। दुनिया के दादा को ईरान ने जिस कमांडर के लिए खुली चुनौती दे डाली आइए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं। पहले दो लाइनों में जान लीजिए की कौन था कासिम सुलेमानी।
कुद्स फोर्स
अमेरिका मानता था दुश्मन