यूपी में अब समय से नहीं निपटी बिजली समस्या तो उपभोक्ताओं को मिलेगा देरी का मुआवजा

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) द्वारा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिये नया स्टैन्डर्ड आफ परफार्मेन्स रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया है. आयोग द्वारा जारी इस कानून पर उत्तर प्रदेश शासन को अधिसूचना जारी करने के लिये भेज दिया गया है. अधिसूचना की तिथि से पूरे प्रदेश में मुआवजा क्लाज लागू हो जायेगा.



लखनऊ. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) द्वारा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं जैसे ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफार्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटना बढ़ाना व अन्य मामलों में बिजली कंपनियों से तय समय में सेवाएं नहीं मिलतीं तो कंपनियों को अब ये भारी पड़ेगा. दरअसल विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ता हित में काफी सख्ती के मूड में आ गया है. उसी के क्रम में नियामक आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्य केके शर्मा द्वारा एक एतिहासिक फैसला सुनाते हुये प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिये नया स्टैन्डर्ड आफ परफार्मेन्स रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया है.

आयोग द्वारा जारी इस कानून पर उत्तर प्रदेश शासन को अधिसूचना जारी करने के लिये भेज दिया गया है. अधिसूचना की तिथि से पूरे प्रदेश में मुआवजा क्लाज लागू हो जायेगा. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में अब शुमार हो जाएगा, जहां स्टैण्डर्ड ऑफ परफारमेन्स का एक नया रेग्यूलेशन बन जाएगा. आयोग ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि मुआवजा की राशि विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों/(एआरआर) में शामिल नहीं होगी.

उपभोक्ता की समस्या और दोष के मामले में तय मुआवजा इस प्रकार है- 

अण्डरग्राउन्ड केबिल ब्रकडाउन- 100 रुपये प्रतिदिन


स्ब-स्टेशन का निर्माण बाधित होने की स्थिति में वोल्टेज विचलन- 250 रुपये प्रतिदिन

नया कनेक्शन वितरण मेन्स उपलब्धता- 50 रुपये प्रतिदिन

मीटर रीडिंग के मामले- 200 रुपये प्रतिदिनडिफेक्टिव मीटर/सामान्य फ्यूज आफ- 50 रुपये प्रतिदिन


बिलिंग शिकायत/भार में कमी/आधिक्य- 50 रुपये प्रतिदिन

श्रेणी परिवर्तन- 50 रुपये प्रतिदिन

ट्रांसफार्मर फेल ग्रामीण- 150 रुपये प्रतिदिन

अस्थायी कनेक्शन का निर्गमन- 100 रुपये प्रतिदिन

विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के लिए सबस्टेशन की स्थापना- 500 रुपये प्रतिदिन

कॉल सेन्टर द्वारा रिस्पान्स न दिया जाना- 50 रुपये प्रतिदिन

फर्जी अवशेषों को आगे ले जाना- 100 रुपये प्रति चक्र

नया कनेक्शन/अतिरिक्त भार जहां आपूर्ति नेटवर्क विस्तार- 250 रुपये प्रतिदिन

ओवरहेड लाइन/केबिल ब्रेकडाउन- 100 रुपये प्रतिदिन

उपभोक्ता विनियम के अनुसार मासिक आधर पर घोषित आपूर्ति- शहर 20 रुपये प्रति किलोवाट, ग्रामीण - 10 रुपये प्रति किलोवाट

इस संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा यह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बड़ी जीत है. काफी लम्बे समय से उपभोक्ता परिषद इसकी लड़ाई लड़ रहा था और अब जब नियामक आयोग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं में खुशी की लहर है. उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं, जब बिजली कम्पनियों की जवाबदेही बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को तय समय पर सेवा न देने पर मुआवजा भी मिलेगा.


बिलिंग शिकायत/भार में कमी/आधिक्य- 50 रुपये प्रतिदिन

श्रेणी परिवर्तन- 50 रुपये प्रतिदिन

ट्रांसफार्मर फेल ग्रामीण- 150 रुपये प्रतिदिन

अस्थायी कनेक्शन का निर्गमन- 100 रुपये प्रतिदिन

विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के लिए सबस्टेशन की स्थापना- 500 रुपये प्रतिदिन

कॉल सेन्टर द्वारा रिस्पान्स न दिया जाना- 50 रुपये प्रतिदिन

फर्जी अवशेषों को आगे ले जाना- 100 रुपये प्रति चक्र

नया कनेक्शन/अतिरिक्त भार जहां आपूर्ति नेटवर्क विस्तार- 250 रुपये प्रतिदिन

ओवरहेड लाइन/केबिल ब्रेकडाउन- 100 रुपये प्रतिदिन

उपभोक्ता विनियम के अनुसार मासिक आधर पर घोषित आपूर्ति- शहर 20 रुपये प्रति किलोवाट, ग्रामीण - 10 रुपये प्रति किलोवाट

इस संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा यह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बड़ी जीत है. काफी लम्बे समय से उपभोक्ता परिषद इसकी लड़ाई लड़ रहा था और अब जब नियामक आयोग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं में खुशी की लहर है. उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं, जब बिजली कम्पनियों की जवाबदेही बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को तय समय पर सेवा न देने पर मुआवजा भी मिलेगा.

अधिकतम 60 दिन में उपभोक्ता को मिलेग मुआवजा


उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इस नियम में यह भी व्यवस्था है कि उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिल जायेगा. आयोग द्वारा जारी कानून में उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमाण्ड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जायेगा. उदाहरण के तौर पर जैसे 1 किलोवाट का उपभोक्ता यदि महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ तो उसे अधिकतम एक वित्तीय वर्ष में 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा.