पचास साल पहले जब पहला जनसंख्या दिवस मनाया गया था तो पता है दुनिया की आबादी कितनी थी। 3 अरब 55 करोड़ जो आज 7 अरब साठ करोड़ यानी दोगुनी से भी ज्यादा है। सिर्फ बैंक में रखा पैसा ही इतनी तेजी से बढ़ता है और कुछ नहीं।
जनसंख्या को लेकर अक्सर ये कहा जाता है कि ये एक दोधारी तलवार है और बढ़ती हुई जनसंख्या दुनिया का सबसे बड़ा विरोधाभास है। जनसंख्या बढ़ने का एक अर्थ ये लगाया जाता है कि इंसान ने मृत्यु को हराने की कोशिश की है और उसे पीछे धकेल दिया है। लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि दुनिया के 200 करोड़ लोगों के पास पर्याप्त भोजन नहीं है खाने के लिए। इसलिए आज जनसंख्या और उसके प्रभावों पर बात करना बेहद जरूरी है।
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है जिसकी आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत हर वर्ष ऑस्ट्रेलिया जितना बड़ा देश पैदा करता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी की भारत हर राज्य की जनसंख्या दुनिया के किसी न किसी देश की जनसंख्या के बराबर है या उससे ज्यादा है। यानी हम कह सकते हैं कि दुनिया के ज्यादातर देश हिन्दुस्तान के आंगन में खेलते हैं। भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की आबादी ब्राजील के बराबर है। भारत के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य महाराष्ट्र की जनसंख्या जापान की जनसंख्या के बराबर है। इसी तरह राज्स्थान की जनसंख्या थाईलैंड के बराबर है तो मध्य प्रदेश की जनसंख्या लगभग ईरान की आबादी के बराबर है। पंजाब की बात करें तो उसमें मलेशिया की आबादी समा सकती है। उत्तराखंड की बात करें तो एक पुर्तगाल उत्तराखंड में समा जाएगा। कर्नाटक की आबादी फ्रांस के बराबर है जबकि केरल और कनाडा की आबादी लगभग एक समान है। ये आंकड़े बताते हैं कि भारत पर जनसंख्या का कितना दबाव है।