अलविदा 2019, इस साल पूरी दुनिया ने देखी न्यू इंडिया की ताकत

अदालती फैसलों ने देश के कुछ दशकों पुराने मुद्दों का हल निकाल दिया तो विज्ञान, अर्थव्यवस्था, खेल और सिनेमा जगत में भी भारत ने कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। आइए फटाफट से एक नजर डालते हैं साल भर की बड़ी राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं पर।





वर्ष 2019 अब जाने को है और 2020 आने को है। 2019 कई खट्टी मीठी यादें देकर गया है जोकि भुलाए नहीं भूलेंगी। भारत में आम चुनावों की वजह से यह साल राजनीतिक रूप से काफी खास रहा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार ने पाकिस्तान को पूरे विश्व में अलग-थलग करने में सफलता पाई। अदालती फैसलों ने देश के कुछ दशकों पुराने मुद्दों का हल निकाल दिया तो विज्ञान, अर्थव्यवस्था, खेल और सिनेमा जगत में भी भारत ने कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। आइए फटाफट से एक नजर डालते हैं साल भर की बड़ी राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं पर।


दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ


 


इस साल की शुरुआत हुई दिव्य कुम्भ, भव्य कुम्भ से। प्रयागराज में मकर संक्रांति से शुरू हुआ कुम्भ मेला महाशिवरात्रि पर समाप्त हुआ। पृथ्वी पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुम्भ इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि इसकी भव्यता, गंगा की निर्मलता और साफ सफाई की पूरी दुनिया में चर्चा रही। कुम्भ मेले का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2018 को गंगा पूजन कर किया था। उसी दिन 450 साल बाद ऐतिहासिक अक्षयवट और सरस्वती कूप खोलने की भी घोषणा की गयी थी। इस कुम्भ मेले में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुँचे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संगम में स्नान किया और गंगा आरती की। यही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार के तो सभी मंत्री एक साथ कुम्भ नहाने पहुँचे और साथ ही प्रदेश के इतिहास में पहली बार कैबिनेट की बैठक राजधानी लखनऊ के बाहर प्रयागराज में हुई। कुम्भ मेले ने उत्तर प्रदेश को तो बहुत कुछ दिया ही इस मेले के लिए खासतौर पर प्रयागराज को एअरपोर्ट और एक नया रेलवे स्टेशन भी मिला। कुम्भ मेला यहाँ हुई धर्म संसदों को लेकर सुर्खियों में भी रहा। क्योंकि जनवरी-फरवरी माह के दौरान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए साधु संतों ने जोरदार आंदोलन चलाया हुआ था। लगभग 45 किलोमीटर के दायरे में बसायी गयी कुम्भ नगरी में दो माह में 25 करोड़ से ज्यादा लोग आये और बिना किसी असुविधा के स्नान और पूजन करके गये जोकि राज्य और केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि रही।

 

आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण

 


जनवरी माह में ही लोकसभा चुनावों से पहले एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'आर्थिक रूप से कमजोर' तबकों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी। भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए। कांग्रेस ने इस कदम को 'चुनावी नौटंकी' करार दिया लेकिन चुनाव परिणामों से साफ हुआ कि इससे भाजपा को काफी लाभ हुआ।

 

पुलवामा हमला और बालाकोट में बदला

 


साल का दूसरा महीना पूरे देश को हिला गया। इस साल 14 फरवरी को सुबह सबकुछ सामान्य रूप से चल रहा था कि अचानक दोपहर को एक दिल दहला देने वाली खबर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से आई जहाँ आतंकवादी आदिल अहमद डार ने श्रीनगर जम्मू हाईवे पर सीआरपीएफ की बस को अपनी उस कार से टक्कर मार दी जोकि विस्फोटकों से लदी थी। टक्कर से बस और कार के परखच्चे उड़ गये और क्षण भर में हमारे 40 जवान शहीद हो गये। इस घटना ने पूरे देश में गुस्सा व्याप्त कर दिया, हर भारतीय का खून उबाल मार रहा था। भारत में आम चुनाव की सरगर्मियों के बीच अचानक से देश की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गयी थी। लोग सड़कों पर उतर आये और इस हमले का बदला लेने की माँग करने लगे, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकारा कि देशवासियों का यह गुस्सा और नाराजगी जायज है। उन्होंने देश को विश्वास दिलाया कि हमारे जवानों का सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। आखिरकार फरवरी माह में ही 26 तारीख को वह दिन आ गया। जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर बड़ी कार्रवाई करते हुए बालाकोट में जब्बा टॉप पर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी कैम्पों को तबाह कर दिया। 

 

आम चुनाव 2019

 

मार्च महीने से देश में आम चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गयी जोकि 19 मई को अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने तक चली और 23 मई को आये चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि एक बार फिर नरेंद्र मोदी का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला। भाजपा ने 2014 के चुनावों के मुकाबले 2019 में अकेले दम पर 303 लोकसभा सीटें हासिल कर नया रिकॉर्ड बना दिया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी अपराजेय मानी जाने लगी। दोबारा सत्ता में वापसी कर नरेंद्र मोदी जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे व पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। मोदी को मिला 'महा जनादेश' इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि महागठबंधन की सारी हवा चुनावों में निकल गयी। चुनावों में कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर निजी आक्षेप लगाये थे जिसको जनता ने खारिज कर दिया। साथ ही पश्चिम बंगाल में जिस तरह भाजपा को शानदार जीत मिली उसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिंतित कर दिया।

 

इस साल जनवरी माह में कांग्रेस ने अपना तुरुप का पत्ता चला और प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारते हुए उन्हें राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया। प्रियंका के राजनीति में आते ही कांग्रेस की उम्मीदों को मानो पंख लग गये। बहन प्रियंका और भाई राहुल की जोड़ी ने देशभर में चुनाव प्रचार करके भाजपा के पसीने छुड़ा दिये लेकिन जनता ने कांग्रेस के छक्के छुड़ा दिये और पार्टी को लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। यह हार इतनी करारी रही कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए राहुल गांधी अपने परिवार के गढ़ माने जाने वाले अमेठी से चुनाव हार गये।

 


राहुल जब सुरक्षित क्षेत्र की तलाश में केरल के वायनाड पहुँचे थे तभी यह माना जाने लगा था कि कांग्रेस के दावों में दम नहीं है। कांग्रेस की न्याय योजना की जनता ने हवा निकाल दी और पार्टी के कई दिग्गज नेता लोकसभा का मुँह नहीं देख पाये। कांग्रेस में एक नया भूचाल उस वक्त आ गया जब लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। तमाम मान मनौव्वल के बाद भी राहुल नहीं माने। कार्यकर्ताओं और बड़े नेताओं ने धरना भी दिया, लेकिन राहुल टस से मस नहीं हुए। आखिरकार कुछ महीनों के इंतजार के बाद सोनिया गांधी को दोबारा कांग्रेस की कमान दी गई।

 

आंध्र प्रदेश में सत्तापलट, ओडिशा रहा नवीन बाबू के साथ

 

लोकसभा चुनावों के साथ ही आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा के भी चुनाव हुए। आंध्र प्रदेश में तो बड़ी सियासी उठापटक हो गयी। लोकसभा चुनावों से पहले चंद्रबाबू नायडू केंद्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे और एक शहर से दूसरे शहर की उड़ान भरकर भाजपा विरोधी नेताओं को एकत्रित कर रहे थे लेकिन जब आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आये तो चंद्रबाबू के पैरों तले से जमीन खिसक चुकी थी। यहां 46 साल के वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया जगनमोहन रेड्डी ने राज्य से चंद्रबाबू नायडू की सरकार को उखाड़ फेंका। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन का जादू इस कदर लोगों के सिर चढ़कर बोला कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा की 25 में से 22 सीटों पर भी अपना कब्जा जमाया।

 


ओडिशा एक बार फिर नवीन बाबू के साथ खड़ा रहा और नवीन पटनायक ने लगातार चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही तो सिक्किम में ढाई दशक पुराना पवन कुमार चामलिंग का राज खत्म हो गया।

 

तीन तलाक बिल बना कानून

 


नरेंद्र मोदी सरकार ने दोबारा कार्यभार संभालने के तुरंत बाद सबसे पहले तीन तलाक विरोधी कानून को पारित कराया। मोदी सरकार ने इसके जरिये मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिला दिया। सचमुच, यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक अभूतपूर्व कदम था। तुष्टीकरण के चलते जो न्याय पिछली सरकारें शाहबानो को नहीं दे पायीं थीं, वह चिरप्रतीक्षित न्याय मोदी सरकार ने शाहबानो के हवाले से मुस्लिम महिलाओं को दिलाया।

 

अनुच्छेद 370 का समापन

 

सरकार ने इस साल अगस्त माह में वार्षिक अमरनाथ यात्रा को अचानक स्थगित करने का फैसला कर पर्यटकों को कश्मीर छोड़ने की सलाह दी और पूरे राज्य में कड़े सुरक्षा प्रबंध करने के बाद पांच अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया। लगभग 70 वर्षों तक अनुच्छेद 370 के साथ जीने वाले कश्मीर को असल आजादी वर्ष 2019 में मिली। अनुच्छेद 370 को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चाहे जिस स्तर पर भी हों लेकिन देशभर में जिस तरह से इस फैसले के बाद जश्न मनाया गया, उससे यह साफ हो गया कि देश की जनभावना भी यही चाहती थी कि जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह से भारत का हिस्सा बनाने के लिए, धरती के स्वर्ग को पूरे भारत के साथ खड़ा करने के लिए 370 को खत्म करना जरूरी था। 35ए को हटाना जरूरी था। सरकार ने 370 हटाने के साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के प्रावधान वाला एक विधेयक भी पेश किया। इसे लेकर विपक्ष ने देशभर में सियासी संग्राम छेड़ा और सरकार को निशाने पर लिया। सरकार ने भी कश्मीर के हालात को संभालने के लिए अलगाववादियों के अलावा जम्मू-कश्मीर में विभिन्न पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को नजरबंद कर दिया। 

 


मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ पाकिस्तान ने हायतौबा मचाई, संयुक्त राष्ट्र तक से गुहार लगाई लेकिन भारत सरकार के पुख्ता राजनयिक प्रबंधों की वजह से विश्व को यह स्वीकार करना पड़ा कि यह भारत का आंतरिक मामला है। विदेशी मीडिया में जब भी कश्मीर के हालात को लेकर सवाल खड़े किये गये, भारत सरकार की ओर से तथ्यों सहित पूरे जवाब दिये गये।

 

चिदंबरम की गिरफ्तारी

 


अगस्त माह राजनीतिक रूप से खूब सुर्खियों में रहा था। इस महीने कांग्रेस को तब एक और झटका लगा जब यूपीए सरकार के दौरान देश के वित्त और गृह मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए काफी हाथ पैर मारे, लगभग 24 घंटे तक सीबीआई को चकमा दिया, सुप्रीम कोर्ट में बड़े से बड़े वकीलों की टीम उतार दी, वकीलों ने तर्क पर तर्क दिये लेकिन उन्हें कोई फौरी सफलता नहीं मिली। दिनभर के ड्रामे के बाद शाम को कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर अपने घर इस उम्मीद के साथ पहुँचे कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का घेरा सीबीआई को उन्हें ले जाने नहीं देगा। लेकिन शायद देश ने पहली बार देखा कि सीबीआई के अधिकारियों को इतने बड़े राजनेता के घर दीवार फांद कर जाना पड़ा। कानून को चकमा देने का चिदंबरम का कोई प्रयास काम नहीं आया और सीबीआई उन्हें गिरफ्तार कर ले गयी।

 

बाढ़ और बारिश

 


अगस्त से अक्तूबर माह तक देश के कई राज्य भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित दिखे। महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे की भारी बारिश खूब सुर्खियों में रही और टीवी चैनलों पर समाचारों में लोगों ने सड़कों पर तैरते वाहनों को देखा। कर्नाटक, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत देश के अनेक राज्यों में वर्षजनित हादसों में कई लोगों की जान गयी और कई लोग बेघर भी हुए। बिहार की बाढ़ खासकर पटना की सड़कों पर भरे पानी पर तो खूब कटाक्ष भी हुए क्योंकि भारी बारिश की वजह से पानी भर जाने के चलते बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अपने घर में कैद होकर रह गये थे।

 

चंद्रयान-2

 


सितम्बर माह में भारत को तब बड़ी निराशा मिली जब भारत की शान इसरो के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के बावजूद पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित तकनीक पर आधारित "मिशन चंद्रयान-2" में देश इतिहास रचने से मात्र दो क़दम दूर रह गया। अभियान के अंतिम समय पर अगर लैंडर विक्रम से इसरो के वैज्ञानिकों का संपर्क बना रहता और सब कुछ ठीक रहता तो आज भारत दुनिया पहला ऐसा देश बन जाता जिसका अंतरिक्ष यान चन्द्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव के क़रीब उतरता।

 

राफेल ने बढ़ाई ताकत

 


इस साल अक्तूबर माह देश की सेना के लिए इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि वायुसेना ने सांकेतिक रूप से फ्रांस से प्रथम राफेल लड़ाकू विमान प्राप्त किया। फ्रांस ने भारत को आरबी 001 राफेल विमान सौंपा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान कहा कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल आने से हमारी क्षमता बढ़ेगी। राजनाथ ने पहले राफेल विमान की शस्त्र पूजा ओम लिखकर की उसके बाद इस विमान में सवारी भी की।

 

राम मंदिर

 


अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने विवादित जमीन पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया। 'अंत भला तो सब भला' की तर्ज पर हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने अयोध्या विवाद का पटाक्षेप किया तो पूरे देश ने उसे सहर्ष स्वीकार लिया, ऐसा लगा पूरे देश के सिर से एक बड़ा बोझ उतर गया हो। शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के निर्देश भी दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगी। साथ ही मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने के भी निर्देश दिए। फैसले को तकरीबन सभी पक्षों ने स्वीकारा। इस फैसले के खिलाफ कहीं भी किसी तरह के विरोध प्रदर्शन या हिंसा की खबर नहीं आई। हालांकि इस फैसले के खिलाफ एआईएमपीएलबी और हिंदू महासभा सहित करीब 22 पक्ष पुनर्विचार याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन अदालत ने इन्हें खारिज कर दिया। 

 

महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और झारखंड का सियासी नाटक

 

लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर का निराशाजनक प्रदर्शन राज्य की सरकार को गिरा गया। कांग्रेस और जेडी-एस में इतने मतभेद बढ़े कि दोनों ही दलों के कई विधायक बागी होकर भाजपा के साथ आ गये। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा अपना बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बन गये लेकिन उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई थीं क्योंकि कांग्रेस-जेडीएस कार्यकाल के विधानसभा अध्यक्ष ने बागियों को विधानसभा सदस्यता के अयोग्य करार दे दिया गया लेकिन बागियों को सुप्रीम कोर्ट से उपचुनाव लड़ने की अनुमति मिल गयी। बागी विधायक भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते।

वहीं हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों का सामना भाजपा ने बड़े आत्मविश्वास के साथ किया था। शिवसेना के साथ आने के लिए भाजपा ने अपनी कई जीती हुई सीटें तक छोड़ दी थीं। जनता ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को दोबारा जनादेश भी दिया लेकिन विधानसभा में दलीय स्थिति को देखकर शिवसेना के मन में नया फॉर्मूला आ गया और उसने सीएम पद को लेकर भाजपा के समक्ष 50-50 का फॉर्मूला रखकर नया विवाद छेड़ दिया। उद्धव ठाकरे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की माँग को लेकर अड़ गए। भाजपा को यह मंजूर नहीं था इसलिए शिवसेना अलग हो गयी और विचारधारा के लिहाज से अपने एकदम विपरीत कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन कर लिया। लेकिन सियासी नाटक ने ऐसा करवट ली कि भाजपा ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ मिलकर रातोंरात सरकार बना ली। इसे लेकर जबरदस्त सियासी हंगामा मचा, आखिरकार साढ़े तीन दिन पुरानी फडणवीस सरकार ने इस्तीफा दे दिया और शिवसेना के इतिहास में पहली बार पार्टी प्रमुख ने राज्य के मुख्यमंत्री की कमान संभाली। 


 

हरियाणा में भाजपा आशानुरुप अपना प्रदर्शन नहीं कर पायी। मनोहर लाल खट्टर दोबारा मुख्यमंत्री बन तो गये लेकिन उन्हें जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला का समर्थन लेकर सरकार बनी और अपनी आधी कुर्सी भी उन्हें सौंपनी पड़ी। झारखंड में भाजपा ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को चुनावी मुद्दा बनाया लेकिन रघुबर दास सरकार के लिए जनता की नाराजगी का अंदाजा नहीं लगा पाई और राज्य की सत्ता से बाहर हो गयी। यहां हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने सरकार बनायी।

 

नागरिकता कानून

 


संसद ने ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन कानून पारित कर दिया और इस तरह भाजपा ने अपने घोषणापत्र के एक बड़े वादे को पूरा कर दिया लेकिन इस कानून को लेकर विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया। जबकि सरकार की तरफ से संसद में और संसद के बाहर यह बार-बार स्पष्ट किया जा चुका है कि इस कानून से किसी भी भारतीय के मूलभूत अधिकारों पर जरा-सा भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस कानून का सबसे पहले विरोध शुरू हुआ असम में, धीरे-धीरे विरोध की चिंगारी अन्य राज्यों में भी फैलती चली गयी और पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जानें गयीं।

 

दुष्कर्म कांड

 

बलात्कार जैसी सामाजिक विकृति हमारे देश की बेटियों की अस्मिता को लीलती जा रही है। दिल्ली के निर्भया कांड की पुनरावृत्ति इस बार हैदराबाद में दिखी। इस साल 26 नवंबर को चार लोगों ने तेलंगाना में एक युवा महिला पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे जिंदा ही जला दिया। इस घटना का देशभर में विरोध शुरू हो गया। इस मामले में हैरान करने वाली खबर 6 दिसंबर को आयी जब पता चला कि चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। इसे लेकर पुलिस पर सवाल भी उठे, लेकिन जनता ने देशभर में इस एनकाउंटर का स्वागत किया। निर्भया के दोषियों को भी जल्द से जल्द फांसी की सजा देने की मांग को लेकर भी धरना प्रदर्शन हुए लेकिन कानून में मिले अधिकारों का लाभ उठाने में निर्भया के दोषी मशगूल रहे।

 

दूसरी ओर उन्नाव की दो घटनाओं ने साल भर देश को हिलाये रखा। पहली घटना में उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता ने विधायक कुलदीप सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। विधायक कुलदीप सेंगर ने पीड़िता को ट्रक से कुचलवाने का भी प्रयास किया। उसने सुबूत मिटाने के भरसक प्रयास किये लेकिन कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सका और दिसंबर माह में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्नाव की दूसरी घटना ने भी समाज को हिलाकर रख दिया। यहां एक लड़की जिसने कुछ युवकों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था, उन्होंने उसे जिंदा जला दिया। लड़की को दिल्ली इलाज के लिए लाया गया लेकिन वह दम तोड़ गयी। युवती के दोषी इस समय गिरफ्त में हैं और कानून जल्द ही उनका भी हिसाब करेगा।

 


दिसंबर माह की घटनाओं पर सरसरी नजर दौड़ाएं तो इस महीने दिल्ली की अनाज मंडी में भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की मौत की हृदय विदारक खबर आई तो दूसरी ओर भारतीय सेना में चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ का पद सृजित करने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनपीआर को भी अपडेट करने को मंजूरी प्रदान की और पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध का हीरो लड़ाकू विमान मिग-27 साल के अंत में वायुसेना से रिटायर हो गया। राजस्थान के जोधपुर एयरबेस में 7 लड़ाकू विमानों ने 27 दिसंबर को अपनी आखिरी उड़ान भरी।

 

नेताओं का आना-जाना

 

इस साल देश ने कई नये राजनेता देखे तो कुछ भारतीय राजनीतिक जगत में शून्यता पैदा करते हुए इस दुनिया को अलविदा भी कह गये। भाजपा के वरिष्ठ नेता और गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर मार्च महीने में, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित जुलाई महीने में, भाजपा की वरिष्ठ नेता और वाजपेयी तथा मोदी सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहीं सुषमा स्वराज तथा पूर्व वित्त मंत्री तथा प्रधानमंत्री मोदी के अभिन्न मित्र अरुण जेटली अगस्त माह में असमय इस दुनिया को छोड़ गये।

 


मोदी सरकार पार्ट-2 में अफसरशाह से नेता बने एस. जयशंकर को लोगों ने विदेश मंत्री के रूप में बेहतरीन कार्य करते हुए पाया तो ओडिशा में अति सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले प्रताप चंद सारंगी ने भी मोदी मंत्रिमंडल में स्थान पाकर देश और दुनिया में नाम कमाया। उद्धव ठाकरे, प्रमोद सावंत, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनने वाले नये चेहरे रहे तो दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा में उपमुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।