उद्धव ठाकरे के सीएम बनते ही कैसे बदले शिवसेना के तेवर, सामना में PM मोदी को बताया ठाकरे का बड़ा भाई


महाराष्ट्र में उद्धव राज की शुरुआत हो चुकी है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. प्रदेश की कमान संभालने के बाद उद्धव ने कई ऐलान किए. अब इन वादों को पूरा करने के लिए उद्धव की नजरें केंद्र सरकार पर हैं. शिवसेना ने आज (शुक्रवार) अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना में अन-बन है, लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है. इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी मोदी की है.


फडणवीस सरकार ने महाराष्ट्र को कर्ज में डूबोया


शिवसेना ने सामना में कहा कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार सत्य और न्याय की सारी कसौटियों पर खरी उतरकर स्थिर रहेगी. वहीं बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज लादकर फडणवीस सरकार चली गई. इसलिए नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उस पर तेजी से और सावधानीपूर्वक काम करना होगा.


महाराष्ट्र के सहयोग के लिए हाथ आगे बढ़ाए केंद्र सरकार


सामना में कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र का विकास तीव्र गति से होगा. इसके लिए केंद्र की नीति सहयोगवाली होनी चाहिए. महाराष्ट्र के किसानों को दुख की खाई से बाहर निकालने के लिए केंद्र को ही सहयोग का हाथ आगे बढ़ाना होगा. शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना में अन-बन है लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है. इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी मोदी की है. जनता के फैसला का सम्मान करे दिल्ली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते. महाराष्ट्र की जनता ने जो फैसला दिया है, दिल्ली उसका सम्मान करे और सरकार की स्थिरता न डगमगाए. महाराष्ट्र जीता-जागता पुरुषार्थ है, यह पुरुषार्थ छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से यहां की माटी के कण-कण में दिखाई देता है. महाराष्ट्र के गठन के लिए मराठी जनता ने संघर्ष किया है. महाराष्ट्र में शुरू हुआ सुराज्य का उत्सव सामना में कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है. देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है और देश की सीमा की रक्षा तो महाराष्ट्र की परंपरा रही है. इसलिए अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा और उसका सम्मान किया जाएगा. दिल्ली के दरबार में महाराष्ट्र चौथी-पांचवीं कतार में नहीं खड़ा रहेगा बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा. महाराष्ट्र में सुराज्य का उत्सव शुरू हो गया है.