कांग्रेस ने की तंबाकू के उत्पादन पर रोक की मांग


नई दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश को वापस लेने के प्रस्ताव और उसका स्थान लेने वाले विधेयक को आज यहां लोकसभा में पेश किया गया। कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने अध्यादेश को वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया जबकि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) प्रतिषेध विधेयक 2019 पेश किया।

 

स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए सरकार ने 18 सितंबर को एक अध्यादेश लाकर पूरे देश में ई-सिगरेट के आयात, उत्पादन, बिक्री, विज्ञापन, भंडारण और वितरण पर रोक लगा दी थी। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के लिए एक वर्ष तक के कारावास अथवा एक लाख रुपए के जुर्माने या दोनों की सजा का प्रावधान किया गया है। ई-हुक्का, हीट नोट बर्न उत्पाद आदि युक्तियों पर भी इसी अध्यादेश के तहत रोक लगायी गयी है। चर्चा की शुरुआत करते हुए श्री  चौधरी ने कहा कि उन्हें विधेयक के उद्देश्य को लेकर कोई परेशानी नहीं है लेकिन तौर तरीकों को लेकर आपत्ति है। ऐसे समय जब पांरपरिक सिगरेट एवं बीड़ी बाजार में आम तौर उपलब्ध हैं, उसकी अपेक्षाकृत कम चलन वाली ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए हड़बड़ी दिखायी जा रही है।

 

उन्होंने कहा कि सरकार का यह कहना है कि ई-सिगरेट से नुकसान के बारे में अभी कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं है। ई सिगरेट केवल 0.02 प्रतिशत लोगों तक उपलब्ध है जबकि पांरपरिक सिगरेट एवं बीड़ी हर कोने में आसानी से उपलब्ध है। इससे लगता है कि ई सिगरेट पर रोक लगाने का सरकार का कोई विशेष उद्देश्य है। चौधरी ने कहा कि सरकार को देश में तंबाकू के उत्पादन पर रोक लगाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक 42.4 प्रतिशत पुरुष और 14.2 प्रतिशत महिलाओं की मौत तंबाकू जनित रोगों के कारण होती हैं। उन्होंने अध्यादेश लाने और फिर आनन फानन में विधेयक लाने पर सवाल उठाया कि कहीं सरकार मच्छर मारने के लिए तोप तो नहीं चला रही है। उन्होंने लंदन के एक संस्थान की रिपोर्ट का उल्लेख किया कि ई-सिगरेट कई प्रकार के हानिकारक एवं विषाक्त पदार्थ से मुक्त है। तीस देशों ने ई-सिगरेट को प्रतिबंधित किया है जबकि ब्रिटेन कनाडा फ्रांस जर्मनी आदि देशों ने इस पर रोक नहीं लगायी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरुण गांधी ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि ई-सिगरेट के प्रयोग करने वालों को ट्यूमर, अवसाद, श्वसन संबंधी दिक्कत होने की शिकायतें आम हैं।

 

बहुत कम उम्र के युवाओं एवं किशोरों में ई-सिगरेट की पहुंच बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि 99.3 प्रतिशत ई-सिगरेट इंटरनेट या कालाबाजार में मिलतीं हैं। उन्होंने लंदन के रॉयल कॉलेज आॅफ फिजीशियंस के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि  ई-सिगरेट का उपयोग करने वाले 70 प्रतिशत लोग पांरपरिक सिगरेट या बीड़ी पीते हैं। इसलिए यह कहना गलत है कि ई-सिगरेट के सेवन से धूम्रपान छोड़ना आसान होता है। गांधी ने कहा कि ई सिगरेट पर भारत में रोक नहीं लगती तो उसे बनाने वाली कंपनी अगले साल चार फ्लेवर - बनाना, स्ट्रॉबेरी, मिलन एवं एपल में ई-सिगरेट लाँच करने वाली थी। उन्होंने  तंबाकू उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने के सुझाव को अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि तंबाकू की खेती पर करीब 13 लाख किसान निर्भर हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि बीड़ी का 80 हजार करोड़ रुपए का कारोबार है जबकि टैक्स 417 करोड़ रुपए लगता है। इस पर टैक्स की दर बढ़ायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कम टैक्स ले कर हम बीड़ी पीने वालों की मदद कर रहे हैं या उनके मरने में मदद कर रहे हैं।