उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ''वन मैन आर्मी'' की तरह सरकार चला रहे हैं। उनके निर्णय सरकार के सामूहिक निर्णय नहीं होते हैं। वह चुने गए नुमांइदों से अधिक अपने अधिकारियों पर भरोसा करते हैं।
लब्बोलुआब यह है कि योगी द्वारा अपनी पार्टी के नेताओं/जनप्रतिनिधियों से अधिक महत्व सरकारी अधिकारियों को देने की वजह से नौकरशाह बेलगाम हो गए हैं। अगर ऐसा न होता तो रायबरेली के जिलाधिकारी की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती थी कि वह उस पीसीएस ट्रेनी अधिकारी को थप्पड़ जड़ देते जो अपने परिवार के एक सदस्य की मौत के लिए योगी सरकार से इंसाफ मांग रहा था। यह खबर अखबारों में छपी, लेकिन योगी सरकार द्वारा इसका संज्ञान तब लिया गया जब केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पूरे घटनाक्रम पर टि्वट करके नाराजगी व्यक्त की। इसी प्रकार से देवरिया में जिलाधिकारी सिर्फ इसलिए अपना आपा खो बैठे थे क्योंकि एक व्यापारी अपनी गाड़ी वहां खड़ी कर बैठा, जहां पर जिलाधिकारी महोदय का निरीक्षण करने के लिए आना था। तमतमाए जिलाधिकारी ने स्वयं तो व्यापारी को पीटा ही था बाद में पुलिस से भी पिटवाया और फिर थाने लेकर पूरे घटनाक्रम पर व्यापारी से ही माफी नामा भी लिखवाया। यहां कोई स्मृति ईरानी नहीं आईं। इसलिए जिलाधिकारी का बाल भी बांका नहीं हुआ।