मोदी को 7 महीने में 9.67 लाख रु. के तोहफे मिले, सुषमा को 6.71 करोड़ की ज्वैलरी मिली थी



  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले 2,772 उपहारों की ऑनलाइन नीलामी 

  • 14 सितंबर से शुरू हुई तोहफों की नीलामी का आज आखिरी दिन

  • दिवंगत सुषमा स्वराज को अप्रैल में 6.71 करोड़ की ज्वैलरी तोहफे में मिली थी, तब वे विदेश मंत्री थीं

  • एनएसए अजित डोभाल को शहद की 12 बोतलों समेत 23,800 रुपए के उपहार मिले

  • गुमनाम लोगों ने अफसरों को आई-फोन और सोने के बिस्किट भेजे



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस साल मिले तोहफों की नीलामी की जा रही है। संस्कृति मंत्रालय मोदी को मिले 2,772 उपहारों की नीलामी कर रहा है। ये प्रधानमंत्री को देश-विदेश में अलग-अलग दौरे पर या अतिथियों से मुलाकात के दौरान भेंट में मिले हैं। इनमें पेटिंग्स, स्मृति चिह्न, मूर्तियां, शॉल, पगड़ी और विभिन्न पारंपरिक वाद्ययंत्र शामिल हैं। 14 सितंबर से शुरू हुई नीलामी 3 अक्टूबर तक चलेगी। इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा। इनके अलावा ऐसी कई वस्तुएं हैं, जो प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न मंत्रियों और अफसरों को मिली हैं। भास्कर APP ने उन उपहारों और उनकी कीमत का विश्लेषण किया तो पता चला कि इस साल सबसे महंगा उपहार 6.7 करोड़ का है, जो दिवंगत सुषमा स्वराज को अप्रैल में विदेश मंत्री रहने के दौरान मिला था। इनके अलावा ऐसी कई दिलचस्प चीजें हैं जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और अफसरों को तोहफे में मिली हैं।


मोदी को 75,000 का समोवर (जार) भी मिला


विदेश मंत्रालय से जारी लिस्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री को इस साल जनवरी से जुलाई के दौरान विदेशों से 43 तोहफे मिले। इनमें 75 हजार रुपए का समोवर भी है, जो किर्गिस्तान के राष्ट्रपति जेनेबकोव ने मोदी को दिया था। समोवर एक तरह का मेटल का बड़ा जार होता है, जिसका इस्तेमाल रूस या सोवियत संघ से अलग हुए देशों में पानी गर्म करने के लिए किया जाता है।


सुषमा स्वराज को सबसे ज्यादा 6.74 करोड़ के उपहार मिले


सबसे ज्यादा और सबसे महंगे उपहार पूर्व विदेश मंत्री और दिवंगत सुषमा स्वराज को मिले। इस साल जनवरी से जून तक उन्हें 44 तोहफे मिले, जिनकी कीमत 6 करोड़ 74 लाख रुपए आंकी गई। इनमें हीरे, नीलम की ज्वैलरी से लेकर फूलदान, शॉल, पेंटिंग्स से लेकर कारपेट और गोल्डन मास्क तक शामिल हैं। उन्हें सिल्वर-डायमंड एमराल्ड ज्वैलरी सेट मिला है, जिसकी कीमत 6 करोड़ 70 लाख रुपए है। इसके अलावा एक लाख 14 हजार की गोल्ड ज्वैलरी भी मिली है। पूर्व रक्षा मंत्री और मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 20 गिफ्ट मिले हैं, जिनमें से ज्यादातर का वैल्यूएशन नहीं हो पाया है।


अफसरों को शहद, शराब, साड़ी और सोने की चूड़ियां मिलीं


मंत्रियों के अलावा भारत सरकार के विभिन्न अफसरों को भी इस साल कई तोहफे मिले हैं। इनमें शहद और शराब की बोतलों से लेकर साड़ियां और सोने की चूड़ियां तक शामिल हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को शहद की 12 बोतलें गिफ्ट में मिलीं, तो विदेश मंत्री एस जयशंकर को 10 हजार की साड़ी मिली है। वहीं, इराक की राजधानी बगदाद में भारतीय दूतावास के अफसरों को सोने की चूड़ियां गिफ्ट में मिलीं। इनकी कीमत 31 हजार रुपए आंकी गई है। मंत्रालय में डायरेक्टर अमित तेलंग को शराब की तीन बोतलें मिलीं, जिनकी कीमत करीब साढ़े चार हजार रुपए है।


गुमनाम लोगों ने भेजे आईफोन, सोने के बिस्किट


विदेश मंत्रालय से जारी लिस्ट के मुताबिक, 2016 से 2018 के दौरान सरकार के विभिन्न पदाधिकारियों को गुमनाम गिफ्ट भी भेजे गए हैं। इनमें आईफोन, सोने के बिस्किट से लेकर भगवद्गीता तक हैं।


मंत्रियों, अफसरों को विदेशों से मिले गिफ्ट को लेकर नियम



  • भारत सरकार और राज्य सरकार के मंत्रियों और अफसरों को विदेशों से मिलने वाले तोहफों या उपहारों को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय से केंद्र और राज्यों के मंत्रियों के लिए जारी "कोड ऑफ कंडक्ट फॉर मिनिस्टर्स' के नियम 4.2 के मुताबिक इन उपहारों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली कैटेगरी में वे उपहार शामिल हैं जो प्रतीकात्मक प्रकृति के हैं। जैसे स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, औपचारिक वस्त्र आदि। इन्हें प्राप्तकर्ता अपने पास रख सकते हैं। दूसरी कैटेगरी में वे वस्तुएं हैं जो प्रतीकात्मक नहीं हैं।

  • अगर उपहार की कीमत पांच हजार रुपए तक है तो उसे प्राप्तकर्ता अपने पास रख सकता है।

  • अगर उपहार की कीमत पांच हजार रुपए से ज्यादा है तो उसे विदेश मंत्रालय के तोषाखाना को सौंपना होता है। अगर ऐसे उपहार को कोई अपने पास रखना चाहता है, तो उसे कीमत का अंतर चुकाना होगा।

  • अगर किसी उपहार की कीमत का पता नहीं चल पाता है तो उसे वैल्यूएशन के लिए तोषाखाना को भेजा जाता है।

  • पांच हजार रुपए से अधिक कीमत की कुछ हाउसहोल्ड वस्तुएं जैसे- कारपेट्स, पेंटिंग्स, फर्नीचर आदि को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री निवास और राज्यों के मामले में वहां के राजभवन में रख दिया जाता है।


(स्रोत- विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, पीएममेमेंटोज़)