अयोध्या में रामलला का टेंट 26 साल में सिर्फ दो बार बदला गया



  • रामलला के वस्त्र फट जाएं तो सिलवाने के लिए कमिश्नर से इजाजत लेनी पड़ती है

  • रुड़की के एक संस्थान ने 2015 में वॉटर और फायर प्रूफ टेंट बनवाए थे

  • देखरेख के लिए पांच पुजारी और कुछ कर्मचारी, इनका मासिक वेतन छह हजार से 12 हजार के बीच 

  • रामलला को हर महीने औसत 6 लाख रुपए चढ़ावा चढ़ रहा, व्यवस्था पर 93 हजार रुपए का मासिक खर्च


अयोध्या. विवादित जगह के पास विराजमान रामलला जिस टेंट में हैं, उसे पिछले 26 साल में सिर्फ दो बार बदला गया है। यहां सुबह-शाम उनकी आरती होती है, भाेग लगता है और शृंगार होता है, लेकिन सालभर में सिर्फ एक ही बार उनके वस्त्र सिलवाए जाते हैं। सात वस्त्रों के दो सेट अलग-अलग रंगों के होते हैं। हर एक रंग के वस्त्र, दुपट्टा, बिछौना और पर्दे का सेट 11 मीटर कपड़े से तैयार किया जाता है। अगर किसी वजह से वस्त्र फट जाएं तो इन्हें बदलने और उसका खर्च उठाने के लिए भी कमिश्नर से अनुमति लेनी पड़ती है। 



रामलला के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास ने भास्कर ऐप को बताया, ''रामनवमी के अवसर पर हर साल रामलला के लिए दिनों के अनुसार 7 वस्त्रों के दो सेट तैयार कराए जाते हैं। रामनवमी में 9 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना होती है और भोग चढ़ता है। इस सभी के लिए 52 हजार रुपए का सालाना फंड अतिरिक्त मिलता है। इसमें 3600 रुपए तो वस्त्रों की सिर्फ सिलवाई पर खर्च होते हैं। इसके कपड़े पर खर्च ऊपर से होता है। जितना धन रामनवमी के नाम पर मिलता है, उसी में ही राम जन्मोत्सव की व्यवस्था की जाती है।'' दीपावली जैसे त्योहारों पर रामलला को पीले वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जिस दिन जिस रंग का वस्त्र होता है, उसी रंग का रामलला का बिछौना और पर्दा भी होता है।



देवताओं के प्रिय रंग और दिन के हिसाब से रामलला के लिए वस्त्र सिलवाए जाते हैं


सोमवार : सफेद (चंद्र देव)


मंगलवार : लाल (हनुमान जी)


बुधवार : हरा (गणेशजी)


गुरुवार : पीतांबर (श्रीहरि)


शुक्रवार : गुलाबी या गहरा लाल (आदि शक्ति)


शनिवार : नीला (शनि देव)


रविवार : नारंगी (सूर्य देव)



हर 10 साल में एक बार टेंट बदलने की व्यवस्था


रामलला का टेंट अभी तक दो बार ही बदला गया है, क्योंकि हर 10 साल के अंतराल में टेंट बदलने की व्यवस्था है। पिछली बार इसे 2015 में बदला गया था। यह टेंट वॉटर और फायर प्रूफ है। इसे विशेष रासायनिक लेप के साथ रुड़की के एक संस्थान ने तैयार किया था। इस पर 12 लाख रुपए का खर्च आया। 


रामलला में व्यवस्थाओं पर 93,200 रुपए का मासिक खर्च


प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास को रामलला की सेवा के लिए 12 हजार रुपए मासिक पारिश्रमिक मिलता है। यह पारिश्रमिक उन्हें कमिश्नर द्वारा दिया जाता है। मंदिर की व्यवस्था में 8 अन्य सहयोगी हैं। इनमें 4 सहायक पुजारी और 4 कर्मचारी हैं। सबके वेतन भी अलग-अलग हैं। सहायक पुजारियों को साढ़े सात हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। कर्मचारियों को छह-छह हजार रुपए का भुगतान हो रहा है। रामलला में हर महीने औसतन 6 लाख रुपए और सालाना 65 लाख रुपए से 85 लाख रुपए का चढ़ावा आता है, लेकिन व्यवस्थाओं पर 93,200 रुपए मासिक खर्च किया जाता है। व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए कमिटी बनी है। 


कमिश्नर हैं रिसीवर 


अयोध्या के कमिश्नर मनोज मिश्र रामलला परिसर के रिसीवर हैं। उन्हें कोर्ट के आदेश की सीमाओं में रहकर ही खर्च राशि बढ़ाने का अधिकार है, इसलिए इस फंड में कोई इजाफा नहीं हुआ है। कमिश्नर सालाना 4 हजार रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं कर सकते।