क्या देश सही हाथों में है?






- अमन की बात -


क्या देश सही हाथों में है?



वर्षों से भारत भ्रमण करता रहा हूं, खासतौर से छोटे शहर, कस्बे और  ग्रामीण भारत

और इस बात को पूरी निष्पक्षता और डंके की चोट पर कह सकता हूं कि पिछले पांच सालों में इन इलाकों में जो विकास होते मैंने देखा वह पहले के वर्षों में कभी नहीं देखा

मोदी सरकार में सड़क, हाईवे, बिजली, रेलवे, आवास, शौचालय, स्वच्छता आदि पर बहुत काम हुआ है, सुदूर दुर्गम गांवों तक भी लगभग सभी सुविधाएं पहुंचाई गई हैं

बिजली, सड़क, शौचालय तो ऐसे कोने किनारों तक पहुंचे हैं जहां अभी भी बीस किलोमीटर तक कोई पुलिस चौकी नहीं है और कोई तालुका, तहसील, ब्लाक स्तर का छोटा अधिकारी भी कभी झांकने तक ना जाता हो, दशकों से जर्जर पड़ी सड़कें बनीं, चौड़ी की गईं ंं, पुल पुलिया बने स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी

जहां पहले की सरकारों में काम कम होते थे या नहीं होते थे, ऐसे में इस सरकार के विकास कार्यों के यह दृश्य देखकर जनता को खुश होना चाहिए कि देश सही हाथों में है

( जबकि अभी सुरक्षा, राष्ट्रवाद, आतंकवाद, विदेश नीति, कूटनीति आदि के विषय भी हैं इनमें सरकार अच्छे नंबरों से पास है, पर अपने देश की अधिकांश जनता को इन विषयों ना ज्यादा जानकारी है और ना ज्यादा दिलचस्पी )

 

तो क्या वाकई देश के इस वर्ग की जनता सरकार के विकास कार्यों से खुश हैं? और क्या उसे वोट देगी?

वोट का पता तो 23 मई को लगेगा, पर इस वर्ग की जनता खुश कुछ खास नहीं है, उसे चौतरफा हो रहे विकास में दिलचस्पी नहीं, मुफ्त की मानसिकता से ग्रस्त उसे तो बस अपना निजी भले से मतलब है, शौचालय तो मिला पर उसका देख रेख कौन करेगा, उज्जवला गैस तो मिली पर अब सिलेंडर कौन भरवाएगा, बिजली कनेक्शन तो मिला लेकिन अब बिल कौन भरेगा, अगला कर्ज कौन माफ करेगा, ज्यादा पेंशन कौन देगा, सड़क तो बनी उसपर चलने के लिए वाहन कौन देगा आदि!

ऊपर से कोढ़ में खाज ये कि भयंकर जातिवादी गुटबंदी!

सख्त शासन, सुधार, और सब्सिडी विरोधी मोदी सरकार को दूसरा कार्यकाल मिलेगा! मुश्किल है, पर देखते हैं!

 

- अमन सिंह