गौशालाओं की स्थिति किसी यातनागृह की तरह

        


गौशालाओं की स्थिति किसी यातनागृह की तरह


ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा जबरन गौशालाएं बनवाई जा रही हैं, इसलिए बहुत सी पंचायतों में बेमन और मजबूरीवश इन्हें बनवा दिया गया, अब हाल यह है कि इन गौशालाओं में जो छुट्टे गायों और साड़ों को धकेल दिया गया है वे यातना में जी रहे हैं

इन गौशालाओं में जानवरों के लिए ना प्रर्याप्त मात्रा में छाया है, ना चारा है, और ना दवा - देखभाल

समितियां बनाकर खानापूर्ति कर दी गई है, एक जानवर का रोज का तीस रुपया देने का नियम है, वह भी समय से नहीं दिया जा रहा है, ग्राम प्रधान कब तक अपनी जेब से गौशालाओं का खर्च उठाएं , पैसे समय पर ना मिलने से काम करने वाले भी भाग जाते हैं, 

चारा, छाया और इलाज के अभाव में जानवर गौशाला में मरणासन्न अवस्था में फिर मौत के मुंह में जा रहे हैं, बढ़ती गर्मी के साथ हालात और खराब हो रहे हैं, 

जिन्होंने अपने जानवर छोड़े उनमें यकीनन कोई संवेदना नहीं थी, अब प्रशासन भी इन निरीह पशुओं के प्रति असंवेदनशील है