धनगर जाति को एससी का दर्जा देने पर रोक

उप्र की धनगर जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए 14 अक्टूबर 2003, 16 दिसंबर 2016 और 26 मार्च 2018 को जारी शासनादेशों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि एससी/एसटी आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं जातियों को मिलेगा जो केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित की गई हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने बलवीर सिंह व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में राज्य सरकार की ओर से जारी शासनादेशों को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि प्रदेश सरकार ने धनगर जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा दे दिया गया है, जबकि किसी जाति को अनुसूचित जाति या जनजाति का दर्जा देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। प्रेसिडेंशियल ऑर्डर में अधिसूचित जातियों की श्रेणी को उसी रूप में पढ़ा जाएगा जिस रूप में वह अधिसूचित हैं।कहा कि राज्य सरकार को इसे अपने हिसाब से पढ़ने या किसी जाति को जोड़ने का अधिकार नहीं है। याचिका में शीर्ष कोर्ट के भइया लाल बनाम हरिकिशन सिंह और स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम मिलिंद व अन्य में पारित निर्णयों का भी आधार लिया गया। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को इस मामले में दो सप्ताह में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। साथ ही अगले आदेश पर शासनादेशों के अमल पर रोक लगा दी है।