प्रधानाध्यापक का तबादला हुआ तो विदाई में रो पड़े बच्चे और गांववाले

 

भीष्म नारायण सोनी हमीरपुर जिले के एक गांव के नवीन प्राथमिक विद्यालय में लगातार 12 साल से प्रधानाध्यापक थे. उन्होंने अपने व्यवहार और कर्तव्य परायणता से गांव वालों का दिल जीत लिया था. इसलिए जब उनका तबादला हुआ तो मजरे के लोग दुखी हो गए.

हमीरपुर. एक गुरु और शिष्य का रिश्ता प्रेम की मजबूत डोर में बंधा होता है. यह गुरुवार को हमीरपुर में देखने को मिला. जिले के सरीला विकासखंड के धरऊपुर मजरा के नवीन प्राथमिक विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक भीष्म नारायण सोनी ने अपनी कर्तव्य परायणता और व्यवहार से छात्र-छात्राओं ही नहीं बल्कि मजरे को अपना बना लिया था. इसका नतीजा ये रहा कि जब उनका तबादला हुआ और वह मजरा छोड़कर जाने लगे तो लोगों की आंखें नम हो गईं. जहां एक ओर प्रदेश के परिषदीय स्कूल और वहां की बदहाल शिक्षा व्यवस्था समूचे देश में चर्चा का विषय रहता है, वहीं समाज में भीष्म नारायण सोनी जैसे शिक्षक भी हैं, जो गुरु-शिष्य के अटूट प्रेम का ज्वलंत उदाहरण हैं.

भीष्म नारायण सोनी सरीला के धरउपुर मजरा के नवीन प्राथमिक विद्यालय में लगातार 12 साल से प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे. बीते दिनों उनका तबादला गृह जनपद मजरे के लोगों को हुई तो वह सभी दु:खी हो गए. स्कूल के कई बच्चे तो रोने लगे. गुरुवार को भीष्म नारायण सोनी की विदाई की गई तो छात्र-छात्राओं के साथ ही समूचे मजरे के लोग फूट-फूट कर रो पड़े. इनका प्रेम देख प्रधानाध्यापक सोनी भी भावविभोर हो गए.

जिले के धरउपुर क्षेत्र में भीष्मनारायण अपनी वाणी और स्वभाव के कारण जाने जाते हैं. इनके आचरण के कारण ही छात्र-छात्राएं इनसे प्रभावित हैं. इनके बारे में बताया जाता है कि स्कूल न आने वाले छात्रों को घर से बुलाकर पढ़ाना, गरीब बच्चों की फीस देना और निशुल्क कक्षाएं लगाकर सभी को शिक्षित करने की भावना ही इन्हें अन्य शिक्षकों से अलग और बेहतर बनाती है.

बहू-बेटियों ने तिलक कर शुभकामनाएं दीं
गांव की बहू-बेटियों के साथ ही वृद्ध महिलाओं ने प्रधानाध्यापक का तिलक कर उन्हें भावभीनी विदाई दी. मजरे की जल सहेली कमलेश ने बताया कि प्रधानाध्यापक का कुछ साल पहले भी तबादला हो गया था. इसके बाद गांव के लोगों ने बीएसए के पास जाकर रुकवा दिया था. इस बार चूंकि उनका स्थानांतरण गृह जनपद में हुआ है इस लिए लोगों ने इसकी पहल नहीं की है.