राजमाता मोहिन्द्र कौर केवल राजमाता के अलंकार को धारण करने वाली ही नहीं थीं, बल्कि उन्होंने अपनी पदवी के अनुरूप हर अवसर पर ''राजमाता के धर्म'' का पालन किया। उनका वात्सलय व जिम्मेवारी का भाव सदैव मुखरित हो कर सबके सामने आया था।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब विधानसभा द्वारा केन्द्रीय नागरिकता संशोधन विधेयक के विरुद्ध पास किया गया प्रस्ताव असन्वैधानिक, संघीय ढांचे के विरुद्ध तथा संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन करता है। भारत के संविधान की धारा 256 और 257 के अनुसार प्रत्येक राज्य केन्द्र द्वारा पारित कानून को लागू करने के लिये बाध्य है। यदि वह ऐसा नहीं करता तो केन्द्र सरकार उसे दिशा निर्देश भी जारी कर सकती है। यह प्रस्ताव संविधान की उन दोनों धाराओं को चुनौती देता है। भारत के संविधान में संघीय ढांचा अपनाया है जिसके अन्तर्गत केन्द्र और राज्यों के अलग-अलग अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख है। दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में सर्वोच्च है और कोई भी एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करता। नागरिकता सम्बन्ध में कानून बनाना न केवल केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और संविधान की धारा 11 में इस सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार केवल और केवल संसद को देता है। किसी विधानसभा या किसी राज्य सरकार का इसमें कोई दखल नहीं है। पंजाब का ये प्रस्ताव केन्द्र सरकार और संसद के अधिकारों को छीनने का प्रयास है जिसकी संविधान इजाजत नहीं देता।