- जुर्म अनाउल ने किया और नाम लिखा दिया भाई सनाउल का, नतीजा- सनाउल के नाम से ही चल रहा है मुकदमा
- मादक पदार्थ तस्करी में फंसा अनाउल तो अपने सगे भाई सनाउल की आईडी बता बदल लिया अपना नाम
अजमेर. जज साब! मैं नहीं, मेरा भाई है मुल्जिम, उसके पास मेरा पहचान पत्र था, जिसके आधार पुलिस ने उसकी जगह मेरा नाम लिखा और मेरे नाम से मुकदमा दर्ज हाे गया और अब तक चल रहा है। अपने सगे भाई की पाैने पांच साल पहले की करतूत की वजह से 16 दिन जेल मेें गुजारने और एक साल से अदालती पेशियाें पर चक्कर लगाते झारखंड के दुमका स्थित धनबारू गांव का रहने वाला सनाउल हक आंखाें में आंसू लिए लगातार यह गुहार लगा रहा है।
हाल ही जिला न्यायाधीश के पद पर आसीन हुए अनूप कुमार सक्सेना के सामने मंगलवार काे यह मुकदमा आया ताे उन्हाेंने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। असली मुल्जिम अनाउल ने भी समर्पण कर दिया और कहा कि उसका भाई सनाउल निर्दाेष है। अदालती कार्रवाई भावनाओं से नहीं सबूताें पर चलती है, इसलिए अदालत ने पुलिस काे निर्देश दिए हैं कि बारीकी से पड़ताल कर रिपाेर्ट पेश करें कि वास्तविक मुल्जिम काैन है? सनाउल निर्दाेष हाेते हुए भी अपने भाई अनाउल की करतूत और पुलिस की लापरवाही के चलते एक साल से पीड़ा भाेग रहा है।
ऐसे चला घटनाक्रम
- 13 फरवरी 2015: दरगाह थाना पुलिस को सूचना मिली की मुस्लिम मोची मोहल्ला में एक व्यक्ति मादक पदार्थ बेचने की फिराक में है। तत्कालीन थानाधिकारी भूपेंद्र सिंह के साथ पुलिस टीम मौके पर पहुंची और एक व्यक्ति को हिरासत में लिया। उसके पास दाे किलो गांजा, 20 ग्राम चरस और एक आईडी मिली जिस पर झारखंड के दुमका स्थित गांव धनबारू निवासी सनाउल अंसारी लिखा हुआ था। पुलिस को उसने अपना नाम सनाउल अंसारी बताया। पुलिस ने सनाउल अंसारी के नाम से मुकदमा दर्ज कर लिया।
- 3 अप्रैल 2015 : सनाउल के नाम से अदालत में एनडीपीएस एक्ट के तहत चार्जशीट पेश कर दी।
- 18 जुलाई 2016 : मुल्जिम सनाउल अंसारी के खिलाफ अदालत ने चार्ज लगा दिया और तय कर दिया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20 के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलेगा। मुकदमे की कार्रवाई शुरू हो गई और 2018 में मुल्जिम को जमानत मिल गई। जमानत पर रिहा होने के बाद मुल्जिम तारीख पेशी पर नदारद हो गया। अदालत ने उसके खिलाफ वारंट जारी कर दिए।
- 4 जुलाई 2018 : दरगाह थाना पुलिस ने वारंट की पालना में झारखंड के धनबारू गांव पहुंचकर सनाउल अंसारी को गिरफ्तार कर लिया और उसके अजमेर लाकर अदालती आदेश से जेल भेज दिया गया।
- 16 दिन बाद मिली जमानत, लगाई अर्जी : सनाउल अंसारी को 16 दिन जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई और उसने अदालत में अर्जी पेश कर बताया कि उसने कभी अपराध नहीं किया ना ही अजमेर आया था। इसलिए दरगाह थानाधिकारी रहे भूपेंद्र सिंह को तलब कर सनाउल अंसारी की पहचान करवाई जानी चाहिए। इस अर्जी पर सुनवाई टलती रही और करीब एक साल गुजर गया।
- 1 अक्टूबर 2019 : सनाउल अंसारी के सगे भाई अनाउल अंसारी ने अदालत में समर्पण किया। अनाउल औैर सनाउल ने अलग-अलग अर्जियां हलफनामे के साथ पेश की। अनाउल ने अर्जी में सारा ठीकरा मामले के अनुसंधान अधिकारी पर फोड़ते हुए कहा कि गिरफ्तारी वाले दिन उसने अपना नाम अनाउल अंसारी ही बताया था लेकिन पुलिस नहीं मानी और उसकी जेब से सनाउल की जो आईडी बरामद हुई थी उसके आधार पर उसे सनाउल बताकर मुल्जिम बना दिया और चार्जशीट भी पेश कर दी। उसका कहना था कि जमानत पर रिहा होने के बाद वह कमाने खाने चला गया था इसलिए तारीख पेशियों पर पेश नहीं हो पाया। वहीं सनाउल अंसारी ने अपनी अर्जी में कहा कि उसका भाई अनाउल अंसारी मुल्जिम है उसका मुकदमे से कोई लेना देना नहीं है।
जिला जज ने की त्वरित सुनवाई, दरगाह थानाधिकारी को किया तलब
सैशन न्यायाधीश अनूप कुमार सक्सेना के समक्ष मंगलवार को मामला पहली बार सुनवाई के लिए पेश हुआ। अनाउल के समर्पण और सनाउल के नाम से चल रहे मुकदमे पर न्यायाधीश सक्सेना ने लोक अभियोजक विवेक पाराशर को निर्देश दिए कि दरगाह थानाधिकारी को अदालत में तलब किया जाए। पाराशर की सूचना पर कार्यवाहक थानाधिकारी महेंद्र सिंह उपस्थित हुए
शारीरिक पहचान के निशान से निकला रास्ता
गिरफ्तारी के वक्त सनाउल बनकर गिरफ्तार हुए अनाउल के शरीर के विशेष पहचान चिन्ह फर्द गिरफ्तारी में थे। इस पहचान से दोनों भाइयों के पहचान चिन्हों की जांच की गई। असली सनाउल के शरीर की जांच करवाई तो उस पर वह चिन्ह नहीं मिले जो फर्द गिरफ्तारी में अंकित थे जबकि अनाउल के शरीर पर वह चिह्न मिल गए। इससे प्रथम दृष्टया तो यह साबित हो गया कि पुलिस ने जिसे सबसे पहले गिरफ्तार किया था व सनाउल नहीं बल्कि उसका भाई अनाउल अंसारी था जो अब अपने आपको मुल्जिम बता रहा है। अदालत ने अनाउल को न्यायिक हिरासत में लेने के आदेश दिए और बाद में उसे जेल भेज दिया गया।
अब भी यह जांच का विषय कि 'अभियुक्त कौन'
अदालत ने माना कि इस प्रकरण में इस बात की जांच किया जाना उचित है कि वास्तव में प्रकरण का अभियुक्त कौन है? प्रथमदृष्टया तो फर्द गिरफ्तारी में अंकित शारीरिक पहचान चिन्ह अनाउल अंसारी के शारीरिक चिन्हों से मेल खाते हैं जबकि आरोप पत्र सनाउल अंसारी के नाम से न्यायालय में पेश किया गया है। अभियुक्त का रिमांड होने के बाद उसे जेल भेजा था ऐसे में जेल में उसके अंगूठा निशानी व हस्ताक्ष्रर मौजूद होंगे। इसके अलावा अदालत की पत्रावली पर भी मुल्जिम ने समय-समय पर हस्ताक्षर किए हैं।
जेल के रिकाॅर्ड से अनाउल के हस्ताक्षर का होगा मिलान
अदालत ने थानाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे अनाउल अंसारी की अंगूठा निशानी व हस्ताक्ष्रर न्यायालय पत्रावली से प्राप्त कर उसका मिलान जेल में मौजूद स्वीकृत अंगूठा निशानी व हस्ताक्षर से करवाएं और गहनता से जांच कर जल्द रिपोर्ट अदालत में पेश करें कि न्यायिक हिरासत में भेजा गया अनाउल अंसारी ही इस प्रकरण का वास्तविक अभियुक्त है या नहीं