"अथ गड्ढेदार सड़क महिमा"


टूटी-फूटी गड्ढेदार सड़कें देखकर टेंशन की बजाय चिंतन कीजिये... ख़राब सड़कों को देखकर ख़ुशी होती है कि इन सड़कों के भारी-भरकम बजट से अनगिनत अधिकारियों, अभियंताओं, नेताओं, बाबुओं, ठेकेदारों, दलालों की आर्थिक दरिद्रता दूर हुई होगी... इन टूटी सड़कों की वजह से, इनके कमीशन के पैसों से ढेरों महल बन गए होंगे, मंहगी गाड़ियां और सुख-वैभव के सामान बिककर देश की अपार GDP बढ़ी होगी...


न्यायपुतुल काटजू के 90 फ़ीसदी मूर्खों के इस विशाल मुल्क़ में टूटी गड्ढेदार सड़कें ना केवल उपजाऊ हैं बल्कि सुरक्षात्मक भी हैं... इन टूटी सड़कों पर गड्ढों के बीच-बीच में सड़क के हिस्से ढूंढकर लोग धीमे-धीमे चलते हैं, स्पीड ब्रेकर बनाने का ख़र्च बचता सो अलग... अपराधी वारदात करके तेज़ी से भाग नहीं सकते, इसलिए पुलिस भर्ती की ज़रूरत नहीं पड़ती... टूटी सड़कों पर यातायात स्वयं नियंत्रित रहने से यातायात पुलिस बल का बेजा ख़र्च बचता है...


टूटी गड्ढेदार सड़कों पर झाड़ू ना लग पाने से सफ़ाई कर्मचारियों पर आने वाले ख़र्च की भी बचत होती है... गड्ढेदार सड़कें तमाम कूड़ा ख़ुद में खपाकर डम्पिंग ग्राउंड का बेहतर काम करती हैं... बारिश में इन सड़कों के गड्ढों में जलभराव से रेन वॉटर हारवेस्टिंग बिना किसी खर्च के हो जाती है... बारिश में इन सड़कों की वज़ह से आरा-छपरा-बलिया भी वेनिस का मुफ़्त आनंद देते हैं... दोपहिया, चार-पहिया वाहनों के पेंदे बिना सर्विसिंग धुल जाते हैं... इन सड़कों पर सड़ता कूड़ा नागरिकों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है... सड़कों के गड्ढों में जमा पानी में पलने वाले मच्छर न केवल मच्छरों की विभिन्न किस्मों का संरक्षण करते हैं, अपितु मच्छर अभ्यारण्य के तौर पर पर्यावरण रक्षा भी होती है... इन मच्छरों की बदौलत अस्पतालों, दवाखानों, केमिस्ट से लेकर दवा फैक्ट्री और कब्रिस्तान तक करोड़ों रोज़गार के अवसर उत्पन्न होते हैं... मच्छरों का देश की बढ़ती जनसंख्या के नियंत्रण में अपूर्णीय योगदान है... मुझे उम्मीद है कि सरकार इज़राइल के सहयोग से गड्ढेदार सड़कों में धान की खेती तथा अन्य फसलों के उत्पादन पर शीघ्र निर्णय लेगी... इससे नागरिकों को रोज़गार के साथ खाद्यान्न की समस्या दूर होगी...


टूटी गड्ढेदार सड़कों का देश की अर्थव्यवस्था और GDP वृद्धि में महान योगदान है... बनते ही साल भर में टूट जाने वाली सड़कें जल्दी-जल्दी बनने से ढाँचागत विकास क्षेत्र की विकास दर में वृद्धि होती है... ग़रीब मज़दूरों के लिए अनगिनत रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं... अच्छी टिकाऊ सुरक्षित सड़कें बनाने का दबाव ना होने के कारण गधों को भी अभियंता-ठेकेदार बनने के अवसर प्राप्त होते हैं, जिससे लोकतंत्र की रक्षा होती है... विश्व के भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत की भ्रष्टतम स्थिति में सड़कों के निर्माण के भ्रष्टाचार का अतुलनीय योगदान है...


टूटी गड्ढेदार सड़कों पर टायर जल्दी घिसने से टायर उद्योग फलता-फूलता है... बेरोजगारों को स्किल डेवलपमेंट के तहत पंक्चर विशेषज्ञ बनने के सुनहरे अवसर प्राप्त होते हैं... गाड़ियों की व्हील बैलेंसिंग, अलाइनमेंट और शॉकर चौपट होने से आटोमोबाइल रिपेयरिंग के क्षेत्र में बेरोजगारों को काम मिलता है... टूटी गड्ढेदार सड़कें दुर्घटनाओं के ज़रिए जनसंख्या नियंत्रण का बेहतर माध्यम हैं... वहीं इन सड़कों पर प्रतिवर्ष घायल होने वाले अस्पताल उद्योग को बढ़ावा देते हैं... एम्बुलेंस, दवाओं, मरहम-पट्टी और कफ़न इत्यादि ढेरों उद्योग पुष्पित-पल्लवित होते हैं... दुर्घटनाओं में अपाहिज़ हो जाने वाले नागरिक दिव्यांग का ख़िताब पाकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण पाने के साथ ही सामाजिक सहानुभूति अर्जित करते हैं...


ख़ैर, जो भी हो टूटी-फ़ूटी गड्ढेदार सड़कों का भारत की अर्थव्यवस्था के साथ ही सामाजिक समरसता में भी महत्वपूर्ण योगदान है... इन सड़कों पर दुर्घटना होने पर कुछ लोग घायलों की मदद करते हैं तो असंख्य लोग मज़मा लगाकर सामाजिक एकता प्रदर्शित करते हैं... किसी महिला के घायल होने पर पुरुषों में उसकी मदद करके श्रेष्ठ नागरिक बनने की होड़ मचती है... टूटी सड़कें हमारे महान लोकतंत्र की रक्षक हैं... इन टूटी सड़कों पर भाषण देकर और हेमामालिनी के गालों की तरह की सड़कें बनवाने का वादा करके अंधे-काने-लूले-लंगड़े-चोर-बेईमान-लफंगे-उठाईगीर तक मेयर-वार्ड पार्षद-ग्रामप्रधान से लेकर विधायक सांसद तक का चुनाव जीत जाते हैं... और फिर से टूटी सड़कें बनाने और बनी सड़कें तुड़वाने का लोकतांत्रिक सामाजिक खेल चलता रहता है...


हरि अनंत हरि कथा अनंता
खेलहिं खावहिं सब मिलि संता.....