जानिए क्यों नहीं बन पाई हिंदी राष्ट्रभाषा, गुलाब जामुन, समोसा और जलेबी नहीं हैं हिंदी के शब्द

संविधान के आठवीं अनुसूची में राज्य की आधिकारिक भाषा का ज़िक्र है. कश्मीरी, मलयालम, सिंधी, बंगाली, कन्नड, तेलगु के साथ साथ 22 अन्य भाषाएं भारत की आधिकारिक भाषा है. संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया ही ना कि राष्ट्रीय भाषा.



 


नई दिल्ली: हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और यह काफी हद तक संस्कृत से प्रभावित है. आज जिस हिंदी को हम पढ़ते-सुनते हैं, ये कई चरणों से होकर गुज़री है. और हर चरण में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता था. इसका सबसे पहला रूप अपभ्रंश के नाम से जाना जाता है. कालिदास के प्रेम-रस आधारित नाटक 'विक्रमोर्वशीयम' अपभ्रंश में ही लिखा था.


देवनागरी लिपि 11वीं शताब्दी के आस-पास अस्तित्व में आयी थी. हिंदी प्रिंटिंग का पहला प्रमाण जॉन गिलक्रिस्ट की किताब 'ग्रामर ऑफ हिंदुस्तानी लैंग्वेज' में देखा जाता है. यह किताब 1796 में कोलकाता से छपी थी. यह किताब हिंदुस्तानी भाषा में लिखी गयी थी जिसमे हिंदी और उर्दू का मिश्रण देखने को मिलता है. यह देवनागरी लिपि में लिखी गयी थी. लालू लाल द्वारा 1805 में लिखी 'प्रेम सागर' को हिंदी में छपी पहली किताब माना जाता है. यह श्रीकृष्ण से जुड़े किस्सों पर आधारित है.




संविधान के आठवीं अनुसूची में राज्य की आधिकारिक भाषा का ज़िक्र है. कश्मीरी, मलयालम, सिंधी, बंगाली, कन्नड, तेलगु के साथ साथ 22 अन्य भाषाएं भारत की आधिकारिक भाषा है. संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया ही ना कि राष्ट्रीय भाषा. 2010 में गुजरात के हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका को रद्द किया था जो हिंदी में सामान के दाम, उसमें इस्तेमाल हुई सामग्री और मैन्युफैक्चरिंग डेट अनिवार्य रूप से बताने की मांग कर रहा था. इसपर कोर्ट ने कहा था की “भारत में अधिकतर लोग हिंदी को राष्ट्रीय भाषा मानते हैं, हिंदी बोलते हैं और देवनागरी लिपि में लिखते हैं. लेकिन हिंदी को राष्ट्र भाषा घोषित करने के लिए कोई पुख्ता आधार या सबूत नहीं है.”



हिंदी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

– हिंदी और अंग्रेजी भारत की आधिकारिक भाषा है. इसके साथ भारत में कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं, जैसे- बंगाली,तमिल,तेलगू, कन्नड, मलयालम, ओड़िया, गुजरती, मराठी, पंजाबी, आसामी आदि.


– मुख्य रूप से यह दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बोली जाती है. बाकी राज्यों में भी यह समझी जाती है.


– बृज भाषा भी हिंदी से मिलती जुलती है. अवधी, बघेली, भोजपुरी, बुंदेली, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरयाणवी, कन्नौजी, कुमाऊनी, मगही, और मारवाड़ी भी मिलती जुलती है. हालांकि ये सब हिंदी की बोलियां हैं और इन्हे क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में जाना जाता है.


– हिंदुस्तान के अलावा हिंदी नेपाल, मॉरिशस,फिजी,सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो में भी बोली जाती है.- हिंदी शब्द की उत्पत्ति पर्शियन शाद 'हिन्द' से हुई है जिसका मतलब है 'इंडस नदी के पास की भूमि'. हिंदी का मतलब हुआ, हिन्द में बोले जाने वाली भाषा.


– बिहार हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने वाला पहला राज्य है.


– हिंदी में शब्द जैसे बोले जाते हैं वैसे ही लिखे जाते हैं.


– हिंदी ने कई भाषाओँ के शब्दों को खुद में समाहित कर रखा है. इसमें उर्दू की भी गहरी छाप दिखाई देती है.


– 1913 में दादा साहब फाल्के ने पहली हिंदी फिल्म बनाई थी, हरिश्चंद्र.


– योग,गुरु, कर्म, चीता, अवतार जैसे शब्द हिंदी की ही देन है.


जानिए क्यों गुलाबजामुन, समोसा और जलेबी नहीं हैं हिंदी के शब्द?


– गुलाब जामुन मूल रूप से पर्शियन भाषा का शब्द है. यह दो शब्दों से जुड़कर बना है-गुल और आब. 'गुल' यानी फूल और 'आब' यानी पानी.


– समोसा अरबी भाषा का शब्द है. जब 10वीं शताब्दी में अरब से लोग हिंदुस्तान आये थी, तब से यह शब्द प्रचलन में आ गया.


– जलेबी भी पर्शियन भाषा की देन है. जलेबी पर्शियन शब्द 'जुलबिया' से बना है. जांगीरी और इमरती भी जलेबी के दूसरे रूप हैं.


– राजमा भी पुर्तगालियों की देन हैं. मेक्सिको से चलकर यूरोप के रास्ते ये भारत आया.


– दाल चावल या दाल-भात भी नेपाल की देन है. यह शब्द भी नेपाली भाषा से लिया गया है.


– पाव भी पुर्तगालियों की देन है. 1850 के आस पास पुर्तगाल से लोग हिंदुस्तान आये थे. और तभी से यह भारत में भी प्रचलित हो गया.


एक्सीडेंटल गुलाब जामुन बनी पाक की राष्ट्रीय मिठाई


इस्लामाबाद इस जहां में शायद ही कोई ऐसा हो जो गरमागरम गुलाब जामुन की सामने आयी प्लेट को इग्नोर करने का साहस जुटा पाता हो. गोल मटोल यह मिठाई लाजवाब है. रस से भरी बेहद मुलायम यह मिठाई अब आपके पड़ोसी देश पाकिस्तान की कमजोरी बोले तो राष्ट्रीय मिठाई बन गयी है.


 


इस्लामाबाद


इस जहां में शायद ही कोई ऐसा हो जो गरमागरम गुलाब जामुन की सामने आयी प्लेट को इग्नोर करने का साहस जुटा पाता हो. गोल मटोल यह मिठाई लाजवाब है. रस से भरी बेहद मुलायम यह मिठाई अब आपके पड़ोसी देश पाकिस्तान की कमजोरी बोले तो राष्ट्रीय मिठाई बन गयी है. रुकिए, थोड़ा करेक्शन है यहां. इसे एक्सीडेंटल गुलाब जामुन बोले तो ठीक रहेगा.


अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम इसे एक्सीडेंटल गुलाब जामुन क्यों कह रहे हैं. तो सुनिए इसकी भी एक कहानी है. पहली बार यह रस भरी मिठाई मध्यकालीन भारत में बनायी गयी थी. कई रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि इसके जन्म के पीछे मुग़ल बादशाह शाहजहां के निजी खानसामे का हाथ था. दरअसल हुआ ऐसा कि खानसामा बनाना कुछ और चाहते थे और एक्सिडेंटली बन कुछ और गया, जिसे आज की तारीख में आप गुलाब जामुन के नाम से जानते हैं. गुलाब जामुन फ़ारसी भाषा का शब्द है.


ट्विटर पर हुआ पोल


आखिर कौन हो पाकिस्तान की राष्ट्रीय मिठाई? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए सरकार ने बाकायदा एक ऑनलाइन पोल कराया था, जिसमें बर्फी और जलेबी को पीछे छोड़ते हुए गुलाब जामुन ने यह ताज हासिल कर लिया. बर्फी, जलेबी और गुलाब जामुन में से तकरीबन 15 हजार लोगों को किसी एक को चुनना था. ट्विटर में कराये गए इस पोल में 47 फीसदी ने गुलाब जामुन को पसंद किया जबकि 34 और 19 परसेंट लोगों ने क्रमशः जलेबी और बर्फी पर अपनी मुहर लगाई.