ढाई साल में योगी सरकार के लिए सब कुछ अच्छा नहीं रहा। इसीलिए अपनी सरकार की छवि को सुधारने के लिए कुछ समय पूर्व योगी ने अपने मंत्रिमंडल में भी बदलाव किया था, मगर वह मनमाफिक बदलाव नहीं कर पाए।
ढाई साल में योगी सरकार के लिए सब कुछ अच्छा नहीं रहा। इसीलिए अपनी सरकार की छवि को सुधारने के लिए कुछ समय पूर्व योगी ने अपने मंत्रिमंडल में भी बदलाव किया था, मगर वह मनमाफिक बदलाव नहीं कर पाए। ऐसा लगा वह ऊपरी प्रेशर में थे। किसी भी सरकार की कार्यशैली का सबसे बेहतर आकलन विपक्ष ही कर सकता है। विपक्ष सवाल खड़ा करता है तो पूरे प्रदेश में मैसेज जाता है। जनता भी असलियत से रूबरू हो पाती है। परंतु योगी सरकार के सामने विपक्ष कभी मजबूती के साथ खड़ा दिखाई ही नहीं दिया।
इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि एक तरफ ढाई साल पूरे होने पर योगी जी प्रेस कांफ्रेंस में कहते हैं कि उन्होंने लघु और सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया है, जबकि एक दिन पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट, प्रदेश सरकार को फटकार लगा चुकी होती है कि वह किसानों के सभी बकाए एक माह में ब्याज सहित भुगतान कराए। हाईकोर्ट ने योगी सरकार को यहां तक याद दिलाया कि कंट्रोल आर्डर के तहत खरीद से 14 दिन में गन्ने की कीमत की भुगतान की बाध्यता है। हाईकोर्ट किसानों के कोर्ट के चक्कर लगाने से दुखी था, लेकिन विपक्ष किसानों की समस्याओं को कभी मुद्दा नहीं बना पाया।