- कर्नाटक-आंध्र में बारिश से फसल खराब होने और त्योहारी मांग बढ़ने से दिवाली तक कीमतें बढ़ने का अनुमान
- एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव मंडी में प्याज के थोक रेट 45 रुपए किलो
नासिक/नई दिल्ली प्याज के भावों में तेजी अब उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में हुई भारी बारिश के कारण फसल के खराब होने और इसके पिछड़ने से मंडियों में आवक घट गई है। कम आवक के कारण प्याज के दामों में तेजी आ गई है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बारिश के कारण प्याज खराब हुई है। एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज का थोक भाव 45 सौ रुपए क्विंटल तक पहुंच गया है। जबकि दिल्ली मंडी में यही भाव पांच हजार रुपए क्विंटल तक पहुंच गया है। वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में उपभोक्ताओं द्वारा 50-60 रुपए किलो या इससे अधिक भाव पर प्याज रेहड़ी आदि पर खरीदी जा रही है। दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 65 रुपए किलो के स्तर पर पहुंच गया है।
सितंबर 2015 के बाद चार सालों में प्याज के भावों में इतनी तेजी दर्ज की जा रही है। एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी, लासलगांव कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर और पूर्व अध्यक्ष जयदत्त सीताराम होल्कर बताते हैं कि एक सितंबर को प्याज का भाव दो हजार से 2.5 हजार क्विंटल का भाव चल रहा था। वहीं 21 सितंबर को भाव चार हजार से 4500 रुपए क्विंटल तक पहुंच गया है।
अभी मंडी में करीब 20 हजार क्विंटल प्याज आ रही है। होल्कर कहते हैं कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश से आवक कम आ रही है और त्यौहारी सीजन को देखते हुए मांग में तेजी है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दीपावली तक थोक भाव 65 सौ रुपए क्विंटल से आठ हजार रुपए क्विंटल पर पहुंच जाएगा। वहीं उपभोक्ताओं को यह 90-100 रुपए किलो तक मिलेगा।
वहीं दिल्ली वेजिटेबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सनपाल बताते हैं कि एक सितंबर को 20 से 25 रुपए किलो थोक में भाव चल रहा था लेकिन अभी भाव 45 से 50 रुपए हो गया है। त्यौहारी मांग के कारण भी भाव अधिक चल रहे हैं। दीपावली तक प्याज का थोक भाव 70 से 80 रुपए किलो तक पहुंच सकता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को प्याज सौ रुपए या इससे महंगी भी मिल सकती है।
अभी मध्य प्रदेश और राजस्थान से प्याज की अच्छी क्वालिटी नहीं आ रही है और प्याज की मात्रा भी बहुत कम आ रही है। दिल्ली में अभी 50 से 60 ट्रक रोजाना प्याज आ रही है। आने वाले समय मेें मांग बढ़ेगी। हार्टीकल्चर एक्सपोर्टर प्रोड्यूसर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत शाह कहते हैं कि अत्यधिक बारिश, फसल में शुरुआती क्षति की वजह से आंध्र और कर्नाटक से आने वाली शुरुआती फसल की आवक में देरी हो गई है। शेष|पेज 00 पर
शाह बताते हैं कि 1.5 महीने फसल पिछड़ गई है इसलिए डेढ़ महीने तक आवक कमजोर रहेगी। आमतौर पर सितंबर के मध्य तक आवक पूरे जोरों पर होती है जबकि अभी छिटपुट आवक ही शुरू हो सकी है। यह मात्रा त्योहारों के सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। शाह कहते हैं कि चीन, मिस्र जैसेे देशों से प्याज का आयात अगर अच्छी मात्रा में हो जाता है तो फिर कीमतों में स्थिरता आ सकती है नहीं तो अगले डेढ़ महीने तक भावों में तेजी रह सकती है।
प्याज के बढ़ते दामों को देखते हुए सरकार ने पिछले सप्ताह न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) शुल्क लागू करने और शुल्क मुक्त आयात जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन इसके बाद भी कीमतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के प्रथम अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में वर्ष 2018-19 में 12.9 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में 236.10 लाख टन प्याज के होने का अनुमान था। जबकि वर्ष 2017-18 के अंतिम अनुमान के मुताबक इसका उत्पादन 232.62 लाख टन होने का था।