उत्तर प्रदेश में रामपुर की मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय में बिना सर्च वारंट छापा मारने के खिलाफ याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. इसके साथ ही इस मामले में डीएम, एसएसपी को नाम सहित नोटिस भी जारी किया गया है.
इस याचिका में याची अधिवक्ता सफदर काजमी का कहना है कि विश्वविद्यालय में पुलिस ने बिना अधिकार के छापा मारा और चोरी की किताबें बरामद करने का दावा किया है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि चांसलर आजम खान से राजनीतिक वैमनस्यता के कारण कार्यवाही की जा रही है. राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह का कहना है कि पुलिस ने चोरी की एफआईआर की विवेचना के तहत मजिस्ट्रेट के साथ छापा डाला और चोरी का सामान भी बरामद किया है. सारी कार्रवाई कानूनी प्राक्रिया के तहत की गई है.
वहीं कोर्ट ने सरकार और पुलिस को कानून के तहत ही कार्य करने की नसीहत दी है. अपर महाधिवक्ता ने कहा कि विवेचनाधिकारी को बिना सर्च वारंट के परिसर की तलाशी लेने का अधिकार है. मजिस्ट्रेट की अनुमति से कार्रवाई की गई है.
बता दें कि पुलिस के मुताबिक हाल-फिलहाल में आजम खान के खिलाफ कुल 28 मामले दर्ज किए गए. जिसमें से 26 मामले जमीन कब्जाने को लेकर हैं, जिन्हें आलिया गंज के किसानों की शिकायत पर दर्ज किया गया है. जबकि 2 मामले अभद्र टिप्पणी को लेकर दर्ज किए गए हैं.
पुलिस के मुताबिक किसानों से मिली शिकायत पर रेवेन्यू इंस्पेक्टर से लेकर तमाम विभागों ने जांच किया जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया. राज्य के राजस्व विभाग की शिकायत में यह भी कहा गया है कि गरीब किसानों की जमीन हड़पने में अपने पद का दुरुपयोग करने वाले आजम खान ने विशाल भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था.